झारखंड में इंडिया ब्लॉक की नई सरकार के गठन के बाद भाकपा माले (CPI-ML) ने अपने स्टैंड को स्पष्ट कर दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने रांची में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि भाकपा माले हेमंत सोरेन सरकार में शामिल नहीं होगी, लेकिन बाहर से समर्थन जारी रहेगा।
सरकार में शामिल होने से इनकार: कारण और स्थिति
दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि वर्तमान में पार्टी के पास केवल दो विधायक हैं, जो सरकार में शामिल होने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है। उन्होंने कहा कि जब भाकपा माले के पास 8-10 सीटें होंगी, तब सरकार में शामिल होने पर विचार किया जाएगा।
हालांकि, पार्टी ने झारखंड में गठबंधन सरकार को “बाहर से समर्थन” देने का वादा किया है। यह निर्णय भाजपा के खिलाफ साझा राजनीतिक संघर्ष और सरकार की गारंटियों को पूरा कराने के उद्देश्य से लिया गया है।
लोकसभा चुनाव और पार्टी का रुख
दीपांकर ने कहा कि भाकपा माले, इंडिया ब्लॉक के साथ मिलकर भाजपा के “जहरीले चुनाव अभियान” को रोकने के लिए काम करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का सहारा लिया, जिसका जवाब झारखंड की जनता ने स्पष्ट रूप से दिया।
संविधान संकल्प यात्रा का ऐलान
भाकपा माले ने 26 जनवरी 2025 तक “संविधान संकल्प यात्रा” चलाने की घोषणा की। इस यात्रा के माध्यम से पार्टी वामपंथी आंदोलन को तेज करेगी और देश में धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने का प्रयास करेगी।
इसके साथ ही पार्टी ने बांग्लादेश और भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा की मांग की और 1947 के धार्मिक स्थलों की स्थिति बनाए रखने पर जोर दिया।
संगठन के विस्तार पर जोर
बगोदर में विनोद सिंह की हार को पार्टी ने दुखद बताया और कहा कि यह संगठन के लिए बड़ा झटका है। भट्टाचार्य ने कहा कि अब पार्टी मासस (मूलवासी समाजवादी संगठन) के साथ मिलकर अपने नेटवर्क का विस्तार करेगी।
पार्टी शहरी सीटों पर भाजपा को चुनौती देने के लिए रणनीति बनाएगी। उन्होंने कहा कि माले बोर्ड और निगम की समितियों में शामिल होने पर विचार कर सकती है, लेकिन मंत्री पद का कोई दावा नहीं करेगी।
सरकार पर दबाव बनाएगी माले
भाकपा माले सरकार पर दबाव बनाएगी कि वह अपने चुनावी वादों को पूरा करे। पार्टी ने समन्वय समिति बनाने की मांग की है, ताकि सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर तालमेल बेहतर हो।
विपक्ष के खिलाफ कड़ा रुख
दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा के सांप्रदायिक अभियान का मुकाबला करने के लिए झारखंड में धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील ताकतों को मजबूत करना बेहद जरूरी है। पार्टी अडानी के मुद्दे और सांप्रदायिक घटनाओं पर भी मुखर रहेगी।
भाकपा माले ने झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार को बाहर से समर्थन देने का निर्णय लिया है, जो वामपंथी राजनीति की रणनीति के अनुरूप है। सरकार के भीतर स्थान पाने की बजाय पार्टी अपनी वैचारिक लड़ाई को आगे बढ़ाने और संगठन का विस्तार करने पर ध्यान दे रही है।