
#रांची #भारत_बंद : नए लेबर कोड्स के खिलाफ मजदूर संगठनों की आम हड़ताल — HEC से लेकर धनबाद तक विरोध प्रदर्शन
- चार नए श्रम कानूनों के विरोध में भारत बंद का झारखंड में मिला-जुला असर
- रांची, रामगढ़, धनबाद, पतरातु समेत कई जिलों में प्रदर्शन
- HEC मजदूरों ने केंद्र सरकार पर मजदूर विरोधी नीति अपनाने का आरोप लगाया
- अल्बर्ट एक्का चौक पर CPI(ML) और अन्य संगठनों का विरोध प्रदर्शन
- वामपंथी दलों, झामुमो, कांग्रेस, राजद ने भी किया समर्थन
रांची में विरोध की गूंज, HEC मजदूरों ने उठाई आवाज
रांची के धुर्वा स्थित HEC परिसर में मजदूर यूनियन के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने बुधवार को केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। चार नए श्रम कानूनों (लेबर कोड्स) को वापस लेने की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने कहा कि ये कानून मजदूर हितों के खिलाफ हैं और इससे श्रमिकों का शोषण बढ़ेगा। प्रदर्शन के दौरान यूनियन नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा और बेहतर शिक्षा से वंचित कर रही है।
अल्बर्ट एक्का चौक पर संयुक्त प्रदर्शन
भाकपा-माले समेत कई ट्रेड यूनियनों और संगठनों ने अल्बर्ट एक्का चौक पर प्रदर्शन कर सरकार की श्रम नीति पर विरोध दर्ज कराया। वक्ताओं ने कहा कि नए लेबर कोड्स से मजदूरों को मिलने वाले अधिकारों में कटौती होगी। प्रदर्शन में शामिल मजदूरों ने कहा कि उनके बच्चे अब अच्छे स्कूलों में पढ़ नहीं पाएंगे, और श्रमिकों का आर्थिक शोषण और बढ़ेगा।
भाकपा-माले जिला सचिव अजय कुमार सिंह ने कहा: “केंद्र सरकार मजदूरों और किसानों के खिलाफ साजिश रच रही है। 44 पुराने श्रम कानूनों को समाप्त कर दिया गया और अब मजदूरों को अधिकारविहीन बना दिया गया है।”
रामगढ़, पतरातु, धनबाद, कतरास में दिखा बंद का असर
रामगढ़ के कोलवारी एरिया, पतरातु, धनबाद, और कतरास में भी ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे। बैंक, कोयला, और फैक्ट्री यूनियनों के सदस्य केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाते नजर आए। सड़कों पर जुलूस, बैनर और पोस्टर के साथ विरोध जताया गया।
बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन के सतीश भार्गव ने कहा: “यह बंद केवल मजदूरों के लिए नहीं, बल्कि देश के भविष्य के लिए है। सरकार लगातार श्रमिक विरोधी फैसले ले रही है।”
17 सूत्री मांगों को लेकर बुलाया गया आम हड़ताल
संयुक्त श्रमिक संगठनों की ओर से भारत बंद के तहत 17 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल बुलाई गई। इनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी, पुराने श्रम कानूनों की बहाली, ठेका प्रथा की समाप्ति, और सभी मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा देने जैसी मांगे शामिल थीं।
विपक्ष ने भी किया समर्थन
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस, राजद, और वामपंथी दलों ने इस हड़ताल को खुला समर्थन दिया। विपक्षी दलों ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार गरीबों और मजदूरों के हक को छीनने पर तुली है।
कर्मचारी संघ के नेता सुनील साहू ने कहा: “हम मांग करते हैं कि मजदूरों के साथ न्याय हो और नए लेबर कोड्स को तुरंत वापस लिया जाए।”
न्यूज़ देखो: जन आक्रोश के पीछे श्रमिकों की पीड़ा
चार लेबर कोड लागू करने के फैसले से देशभर में मजदूर संगठनों में गंभीर असंतोष देखा जा रहा है। झारखंड में हुआ विरोध इस बात की गवाही देता है कि नीतियों को लागू करने से पहले ज़मीनी प्रभाव का आकलन ज़रूरी है। न्यूज़ देखो इस आंदोलन को केवल एक विरोध नहीं, बल्कि श्रमिकों की आवाज़ के रूप में देखता है।
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जागरूकता और अधिकार के लिए सजग रहें
लोकतंत्र में आवाज़ उठाना हमारा अधिकार भी है और जिम्मेदारी भी। समाज के हर तबके को चाहिए कि वह नीतियों को समझे, बहस करे और ज़रूरत पड़ने पर प्रतिक्रिया भी दे। ऐसे प्रयास ही भारत को एक मजबूत और सहभागी राष्ट्र बनाएंगे।
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