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पीटीआर के जंगलों में बीड़ी पत्ता माफिया का कब्जा, वन विभाग की निष्क्रियता से जैव विविधता पर खतरा

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#लातेहार #पीटीआर – संवेदनशील वन क्षेत्रों में तेंदूपत्ता का अवैध कारोबार, मजदूरों और बच्चों का शोषण भी जारी

  • बेतला, छिपादोहर, बरवाडीह समेत कई इलाकों में खुलेआम हो रही अवैध बीड़ी पत्ता तुड़ाई
  • वन विभाग और पुलिस प्रशासन बने मूकदर्शक, कार्रवाई केवल औपचारिक
  • माफिया बेखौफ, सफेदपोशों की संलिप्तता से और गंभीर हुआ मामला
  • बच्चों से लिया जा रहा श्रम, बदले में दी जा रही लकठो मिठाई
  • जंगल की जैव विविधता और कानून व्यवस्था पर गहराता संकट

पीटीआर में धड़ल्ले से चल रहा अवैध तेंदूपत्ता कारोबार

लातेहार — पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के संरक्षित वन क्षेत्रों में इन दिनों बीड़ी पत्ता (तेंदूपत्ता) का अवैध कारोबार जोर पकड़ता जा रहा है। बेतला, छिपादोहर पूर्वी-पश्चिमी रेंज, बरवाडीह जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में जंगल की सीमाओं की अनदेखी कर बड़े पैमाने पर तेंदूपत्ता की तुड़ाई की जा रही है।

इन इलाकों में खलिहान तक बीड़ी पत्तों से भर गए हैं, लेकिन वन विभाग और पुलिस प्रशासन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार, कार्रवाई महज खानापूर्ति बनकर रह गई है — कभी-कभार 5 से 10 बोरी जब्त कर रिपोर्ट दाखिल कर दी जाती है।

“सब मैनेज है” — माफियाओं की खुली चुनौती

बरवाडीह क्षेत्र के माफिया खुलेआम कहते सुने जा सकते हैं —

“सब मैनेज है, किसी का डर नहीं है।”

यह बयान न सिर्फ शासन-प्रशासन पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि अवैध नेटवर्क को राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है। सफेदपोशों की संलिप्तता और वन विभाग की निष्क्रियता ने हालात को और भी जटिल बना दिया है।

बच्चों और मजदूरों का शोषण, जंगल में नैतिक पतन

अवैध कारोबार का एक और गंभीर पहलू यह है कि छोटे बच्चों और मजदूरों का शोषण किया जा रहा है। मजदूरों का आरोप है कि ठेकेदार मेहनताना समय पर नहीं देता, और बच्चों से बीड़ी पत्ता सुखाने का काम करवा कर बदले में पैसे के बजाय लकठो मिठाई दी जाती है।

“बच्चों की पढ़ाई छूट रही है और उनका बचपन छीना जा रहा है,” — ग्रामीण अभिभावकों की नाराजगी

जंगल की सुरक्षा खतरे में, नक्सलवाद को भी मिल रहा बढ़ावा

बेतला, मुंडू, लाभर, हाटा, मोरवाई, आंटीखेता जैसे इलाके अत्यंत संवेदनशील वन क्षेत्र हैं। यहां पर अवैध गतिविधियों का इतना बेखौफ संचालन इस ओर इशारा करता है कि कहीं न कहीं विभागीय मिलीभगत भी मौजूद है। यदि समय रहते कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो जंगल की जैव विविधता, वन्य जीवों की सुरक्षा और क्षेत्र की कानून व्यवस्था पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है।

न्यूज़ देखो: जंगल बचेगा, तो भविष्य बचेगा

न्यूज़ देखो यह सवाल उठाता है — आखिर क्यों वन विभाग आंख मूंदे बैठा है? क्या जैव विविधता और जंगल की सुरक्षा का कोई मूल्य नहीं बचा?
हम मांग करते हैं कि सरकार और विभाग तुरंत संज्ञान लें, स्वतंत्र जांच कराएं और दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो।
न्यूज़ देखो जंगल की हर हरियाली और हर हकीकत पर नजर बनाए रखेगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

वक्त की पुकार: जवाबदेही और ईमानदार कार्रवाई

अब समय आ गया है कि वन विभाग सिर्फ दस्तावेज़ी कार्रवाई से ऊपर उठे और जमीनी सच्चाई से जुड़कर काम करे। यह सिर्फ अवैध तेंदूपत्ता का मामला नहीं, यह बच्चों का भविष्य, मजदूरों की गरिमा और जंगलों की आत्मा का सवाल है।

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