गढ़वा: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के लिए राजनीतिक तापमान बढ़ता जा रहा है, और अब इस चुनावी लड़ाई में एक और बड़ा नाम जुड़ गया है। गढ़वा से पूर्व मंत्री गिरिनाथ सिंह 24 अक्टूबर को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल करेंगे। इंडिया गठबंधन से टिकट न मिलने के बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उनके मैदान में आने से गढ़वा की चुनावी जंग और भी दिलचस्प हो गई है।
गिरिनाथ सिंह ने साधा निशाना
गिरिनाथ सिंह ने अपने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ ही बीजेपी और झामुमो के प्रत्याशियों पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा, “बीजेपी और झामुमो के प्रत्याशियों की हालत यह है कि एक को ईडी ढूंढ रही है और दूसरे को सीबीआई। ये पार्टियां भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और इन्हें जनता के हितों से कोई मतलब नहीं है। ऐसे लोगों से गढ़वा का विकास संभव नहीं है। जनता अब समझ चुकी है और उन्हें सही चुनाव करना होगा।”
सिंह ने यह भी कहा कि उनके चुनावी एजेंडे में गढ़वा के विकास के साथ-साथ बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने दावा किया कि पिछले कई सालों से गढ़वा की जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है, और उन्हें मौका मिला तो वे इन समस्याओं का समाधान करेंगे।
समर्थकों में उत्साह, नामांकन के लिए तैयारी
गिरिनाथ सिंह के नामांकन की तैयारियां जोरों पर हैं। उनके समर्थकों में जबरदस्त उत्साह है, और वे बड़ी संख्या में नामांकन के दिन उनके साथ निर्वाचन कार्यालय पहुंचने की योजना बना रहे हैं। 24 अक्टूबर को नामांकन भरने से पहले उनके समर्थक एक रैली निकालेंगे, जिसमें भारी जनसमूह के शामिल होने की संभावना है।
उनके प्रमुख समर्थक बाबूल सिंह और अन्य लोग पहले ही उनके नामांकन पत्र लेने के लिए निर्वाचन कार्यालय पहुंच चुके हैं। बाबूल सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “गिरिनाथ सिंह जनता के सच्चे प्रतिनिधि हैं। उन्होंने हमेशा गढ़वा की जनता की समस्याओं को उठाया है और उनके लिए लड़ाई लड़ी है। हमें विश्वास है कि इस बार भी जनता उन्हें अपना आशीर्वाद देगी।”
राजनीतिक समीकरणों पर असर
गिरिनाथ सिंह के निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने से गढ़वा विधानसभा सीट पर चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं। इंडिया गठबंधन से टिकट न मिलने के कारण उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला जहां गठबंधन के लिए झटका माना जा रहा है, वहीं यह बीजेपी और झामुमो के लिए भी चुनौती बन सकता है। सिंह का कहना है कि वे गढ़वा की जनता के अपार समर्थन के बलबूते पर चुनाव जीतेंगे और क्षेत्र का सर्वांगीण विकास करेंगे।
गढ़वा की जनता से सीधा संवाद
गिरिनाथ सिंह लगातार गढ़वा की जनता से संवाद कर रहे हैं। वे जनसंपर्क अभियानों के जरिए जनता के बीच जा रहे हैं और उनकी समस्याओं को सुन रहे हैं। सिंह ने कहा, “मेरा उद्देश्य केवल चुनाव जीतना नहीं है, बल्कि गढ़वा की जनता की समस्याओं का समाधान करना है। मैं विकास के मुद्दों पर काम करूंगा और इस क्षेत्र को प्रगति की नई दिशा दूंगा।”
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि गिरिनाथ सिंह का निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरना गढ़वा की चुनावी जंग में किस तरह के बदलाव लाता है। क्या वे जनता के अपार समर्थन से जीत दर्ज करेंगे, या फिर गठबंधन और बीजेपी की चुनावी रणनीतियों के आगे उनकी चुनौती कमजोर पड़ेगी? यह तो आने वाले दिनों में ही साफ होगा।