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गढ़वा कोर्ट का बड़ा फैसला — डायन बताकर की गई हत्या मामले में महिला समेत तीन दोषियों को आजीवन सश्रम कारावास

#गढ़वा #डायनहत्या_मामला : 2020 के चर्चित मेराल कांड में कोर्ट ने सुनाया सख्त फैसला — एक ही परिवार के तीन लोगों को मिला उम्रकैद और जुर्माना

डायन का आरोप बन गया जानलेवा, एक परिवार ने गंवाया बेटा और मां

गढ़वा जिले के मेराल थाना क्षेत्र के रजबंधा गांव में 17 सितंबर 2020 को डायन बताकर हुई एक हत्या के मामले में अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ श्री आशुतोष कुमार पाण्डेय की अदालत ने रीना देवी, दिनेश पासवान और नीरज पासवान को आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।

इन तीनों को प्रति व्यक्ति ₹10,000 का आर्थिक दंड भी भरना होगा।

पीड़िता के पिता की हत्या, दादी को भी पीटा गया था

पीड़िता आशा कुमारी के अनुसार, आरोपीगण — जो सभी एक ही परिवार के सदस्य हैं — उसकी दादी रुक्मणी कुंवर को डायन बताकर मारपीट कर रहे थे। जब पीड़िता के पिता अनिल पासवान उन्हें बचाने पहुंचे, तो आरोपियों ने मिलकर लाठी-डंडों से हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया।

घटना के बाद उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मेराल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

पुलिस ने दर्ज किया मामला, साक्ष्य के आधार पर हुई सजा

पीड़िता के लिखित आवेदन पर मेराल थाना कांड संख्या-254/2020 दर्ज किया गया। आरोपियों को गिरफ्तार कर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 34, साथ ही डायन भूत प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3/4 के तहत न्यायिक हिरासत में भेजा गया।

कोर्ट में पेश हुए 11 गवाह, दोनों पक्षों की बहस के बाद सुनाया गया फैसला

इस मामले की सुनवाई में अभियोजन पक्ष से लोक अभियोजक उमेश दीक्षित ने ठोस साक्ष्य और गवाहों के आधार पर आरोपियों को दोषी सिद्ध किया, वहीं बचाव पक्ष से अधिवक्ता जयप्रकाश नारायण ने बचाव में बहस की।

लोक अभियोजक उमेश दीक्षित ने कहा: “यह निर्णय न केवल पीड़ित परिवार को न्याय दिलाता है, बल्कि समाज में डायन प्रथा के खिलाफ सख्त संदेश भी देता है।”

अदालत ने 11 साक्षियों के बयान, गवाहों की गवाही और दस्तावेजों की समीक्षा के बाद सभी आरोपियों को दोषी पाया।

न्यूज़ देखो: अंधविश्वास की आड़ में हुई हत्या पर सख्त न्याय

गढ़वा जिले में डायन कहकर की गई हत्या की यह घटना झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में फैले अंधविश्वास की भयावह सच्चाई को उजागर करती है।

न्यूज़ देखो मानता है कि यह फैसला ऐसे मामलों में एक न्यायिक नज़ीर के रूप में सामने आया है, जो समाज को अंधविश्वास और कुप्रथाओं से दूर करने में मदद करेगा। ऐसे मामलों में त्वरित और सख्त कार्रवाई ही पीड़ितों को न्याय और समाज को चेतावनी दे सकती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अंधविश्वास नहीं, जागरूकता से बनेगा सुरक्षित समाज

समाज को यह समझने की आवश्यकता है कि किसी महिला को डायन बताकर मार देना न केवल कानूनन अपराध है, बल्कि अमानवीय भी है।

हमें जागरूकता बढ़ानी होगी, और हर स्तर पर प्रशासन, पंचायत, स्कूल और समाज के प्रबुद्ध लोग मिलकर इस कुप्रथा के विरुद्ध अभियान चलाएं।

आप इस फैसले पर अपनी राय नीचे कमेंट करें, इसे शेयर करें और इस मुद्दे पर चर्चा को आगे बढ़ाएं।

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