
#लातेहार #नेत्र_स्वास्थ्य — 13 पंचायतों में डोर-टू-डोर सर्वे, 26 दीदियों को दी गई जिम्मेदारी
- लेंसकार्ट फाउंडेशन व जिला प्रशासन की संयुक्त पहल
- 13 पंचायतों में दृष्टि जांच के लिए 26 दीदियों को दी गई किट
- 14 जून से घर-घर जाकर करेंगी नेत्र परीक्षण
- पहले चरण में 1800 लोगों की जांच हो चुकी है
- जरूरतमंदों को निःशुल्क चश्मा भी प्रदान किया जाएगा
महिला सशक्तिकरण के साथ नेत्र स्वास्थ्य की पहल
लातेहार जिला प्रशासन और लेंसकार्ट फाउंडेशन की संयुक्त पहल से अब नेत्र स्वास्थ्य सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने की तैयारी की गई है। 13 जून 2025 को समाहरणालय सभागार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता और आईटीडीए निदेशक प्रवीण गगरई ने 26 महिला दीदियों को प्राथमिक नेत्र जांच किट वितरित की।
14 जून से घर-घर जांच शुरू, विशेषज्ञ शिविर में होगी गहन जांच
इन सभी दीदियों को पूर्व में प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। वे 14 जून से लातेहार प्रखंड की 13 पंचायतों में डोर-टू-डोर नेत्र जांच शुरू करेंगी। प्राथमिक जांच में जिन व्यक्तियों को दृष्टि समस्या पाई जाएगी, उन्हें विशेष नेत्र शिविर में लाया जाएगा, जहां विशेषज्ञों द्वारा विस्तृत जांच कर उन्हें आवश्यकतानुसार निःशुल्क चश्मा दिया जाएगा।
“यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आंखों की देखभाल की मुफ्त सुविधा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ्य सेवा दोनों का समन्वय है।” — उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता
प्रथम चरण में 1800 लोगों की हुई स्क्रीनिंग
इस योजना के पहले चरण में पांच पंचायतों में निःशुल्क नेत्र जांच शिविर आयोजित किए गए थे, जिसमें 1800 लोगों की आंखों की जांच की गई:
- 26 मई: सांसग पंचायत – 315 लोग
- 27 मई: नावागढ़ पंचायत – 386 लोग
- 28 मई: पाण्डेयपुरा पंचायत – 338 लोग
- 29 मई: परसही पंचायत – 409 लोग
- 30 मई: मोंगर पंचायत – 352 लोग
न्यूज़ देखो: दृष्टि की रौशनी से गांवों में जागरूकता की किरण
लातेहार में नेत्र स्वास्थ्य को लेकर हो रही यह पहल दर्शाती है कि जब प्रशासन, निजी संस्थान और ग्रामीण महिलाएं मिलकर प्रयास करें, तो समाज में सकारात्मक बदलाव संभव है।
न्यूज़ देखो इस जनहितकारी अभियान की सराहना करता है — हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
आंखों की रोशनी लौटे, उम्मीदों की किरण जले
नेत्र जांच अभियान से न केवल हजारों ग्रामीणों को लाभ मिलेगा, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवा की दिशा में एक प्रेरणादायक मॉडल भी बनेगा।
जरूरत है कि राज्य के अन्य जिलों में भी ऐसी योजनाएं लागू हों, जिससे अंतिम व्यक्ति तक पहुंचा जा सके।