
#पटना #बिहारचुनाव2025 – बिहार विधानसभा चुनाव से पहले तेजस्वी यादव और सपा सांसद अफजल अंसारी की मुलाकात ने राज्य की राजनीति में हलचल बढ़ा दी है। बंद कमरे में हुई इस मुलाकात ने महागठबंधन को लेकर नए समीकरणों की अटकलें तेज कर दी हैं।
- बिहार विधानसभा चुनाव से पहले तेजस्वी यादव की राजनीतिक सक्रियता बढ़ी।
- सपा सांसद अफजल अंसारी की तेजस्वी से बंद कमरे में मुलाकात ने चर्चाओं को जन्म दिया।
- आरजेडी में लगातार अन्य दलों से नेताओं का शामिल होना जारी।
- समाजवादी पार्टी के महागठबंधन में शामिल होने की अटकलें तेज।
- राजनीतिक गलियारों में सपा-आरजेडी समीकरण पर बढ़ी चर्चा।
- एनडीए और महागठबंधन दोनों ने शुरू की चुनावी तैयारी।
चुनाव से पहले दल-बदल और समीकरणों का दौर
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के साथ ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। एक तरफ जहां एनडीए अपने कोर वोटबैंक को साधने की कोशिश में जुटा है, वहीं महागठबंधन को मजबूत करने में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पूरी ताकत झोंक चुके हैं। हाल के दिनों में आरजेडी में कई नेताओं के शामिल होने के बाद, अब सपा सांसद अफजल अंसारी की तेजस्वी यादव से मुलाकात ने नए राजनीतिक समीकरण को जन्म दे दिया है।
बंद कमरे की मुलाकात ने बढ़ाई अटकलें
मंगलवार को समाजवादी पार्टी के गाजीपुर सांसद अफजल अंसारी ने राजद कार्यालय में तेजस्वी यादव से बंद कमरे में मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद से ही यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि समाजवादी पार्टी बिहार में महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी में है।
इस संदर्भ में फिलहाल किसी भी नेता ने सार्वजनिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों की मानें तो महागठबंधन में नए घटक दलों को जोड़ने की कवायद तेज हो चुकी है।
सपा और राजद का गठजोड़ – समीकरण क्या कहता है?
समाजवादी पार्टी बिहार में सीमित जनाधार रखने के बावजूद पूर्वांचल के कुछ इलाकों में प्रभावशाली मानी जाती है, खासकर मुस्लिम-ओबीसी वर्ग में। यदि पार्टी महागठबंधन में शामिल होती है, तो इससे तेजस्वी यादव को कई सीटों पर लाभ मिल सकता है।
वहीं, अफजल अंसारी, जो गाजीपुर से सांसद हैं, का बिहार में भी एक राजनीतिक असर है, खासकर सीमावर्ती जिलों में। इसलिए यह गठजोड़ दोनों दलों के लिए रणनीतिक रूप से फायदेमंद हो सकता है।
एनडीए की तैयारियों के बीच महागठबंधन की रणनीति
एनडीए की ओर से भी इस बार चुनाव को लेकर पूरी रणनीति तैयार की जा रही है। बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी सभी दल अपने-अपने स्तर पर गठबंधन को मजबूत करने में लगे हैं।
वहीं महागठबंधन के केंद्र में इस बार भी तेजस्वी यादव ही दिखाई दे रहे हैं, जो लगातार समाज के विभिन्न तबकों से संवाद कर रहे हैं और नए-नए नेताओं को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं।
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