
- कांग्रेस, वीआईपी और वाम दलों के बीच सीटों की खींचतान तेज।
- तेजस्वी यादव ने कहा — टिकट केवल प्रदर्शन के आधार पर मिलेगा, पैरवी नहीं चलेगी।
- कांग्रेस अपनी 70 सीटों की पुरानी मांग पर अड़ी।
- वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने 40+ सीटों और डिप्टी सीएम पद का दावा किया।
- गठबंधन में बढ़ते तनाव के बीच बिखराव के संकेत।
सीटों की जंग: कौन क्या चाहता है?
- कांग्रेस: 70 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं।
- वीआईपी (मुकेश सहनी): 40+ सीटों और डिप्टी सीएम बनने की खुली महत्वाकांक्षा।
- वाम दल: 2020 के मुकाबले ज्यादा सीटों की उम्मीद में।
तेजस्वी यादव ने मंच से दो टूक कहा कि 243 सीटों में सबको टिकट नहीं मिल सकता और अब किसी नेता के कहने पर टिकट बंटवारा नहीं होगा। यह बयान कांग्रेस और वीआईपी के लिए एक कड़ा संदेश माना जा रहा है, जो सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए दबाव बना रहे हैं।
तेजस्वी का साफ संदेश: टिकट ‘पैरवी’ से नहीं, परफॉर्मेंस से मिलेगा
“कोई भी नेता कहे कि इसे टिकट देना, उसे टिकट देना — ऐसा नहीं होगा। तेजस्वी पर सरकार बनाने की जिम्मेदारी है, और आरजेडी ऐसे ही टिकट नहीं बांटेगी।”
तेजस्वी यादव ने साफ कर दिया कि आरजेडी अपनी शर्तों पर ही गठबंधन में सीटों का बंटवारा करेगी।
कांग्रेस का पलटवार: “गठबंधन में कोई छोटा-बड़ा भाई नहीं”
RJD की इस रणनीति से कांग्रेस पूरी तरह असहज दिख रही है। बिहार कांग्रेस के नेताओं ने बयान दिया है कि गठबंधन में कोई छोटा-बड़ा भाई नहीं होता और इस बार वे अपनी मजबूत स्थिति में रहेंगे।
वीआईपी और मुकेश सहनी की बढ़ती महत्वाकांक्षा
मुकेश सहनी ने 40 से ज्यादा सीटें जीतने और डिप्टी सीएम बनने का दावा किया है। हालांकि, आरजेडी के रुख को देखते हुए उनके लिए यह लड़ाई आसान नहीं होगी।
गठबंधन में बिखराव के संकेत?
बिहार चुनाव नजदीक आते ही महागठबंधन के भीतर सीटों की यह खींचतान कहीं इसका नुकसान न कर दे। कांग्रेस, वीआईपी और वाम दलों की अपनी-अपनी उम्मीदें हैं, लेकिन RJD सीट बंटवारे में ज्यादा उदारता दिखाने के मूड में नहीं है।
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