- CAA (नागरिकता संशोधन अधिनियम) 2019 के तहत बिहार की सुमित्रा रानी साहा को नागरिकता प्रदान।
- सुमित्रा रानी 1985 से आरा में अपने पति और तीन बेटियों के साथ रह रही थीं।
- लगभग 40 सालों से वीजा के जरिए भारत में रहना पड़ा।
- CAA अधिसूचना के बाद पहली बार बिहार में नागरिकता प्रमाणपत्र जारी।
- उनकी बेटी ऐश्वर्या ने नागरिकता आवेदन प्रक्रिया को पूरा किया।
भोजपुर (बिहार): भारत में बांग्लादेशी घुसपैठ और नागरिकता के मुद्दे के बीच बिहार के भोजपुर जिले में एक ऐतिहासिक घटना सामने आई है। CAA 2019 के तहत, सुमित्रा रानी साहा को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है। यह पहली बार है जब बिहार में CAA अधिसूचना के बाद किसी को नागरिकता प्रमाणपत्र मिला है।
सुमित्रा रानी की संघर्ष भरी कहानी
सुमित्रा रानी बताती हैं कि बचपन में आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्हें बांग्लादेश जाना पड़ा। 20 साल बाद, 1985 में अपने पिता के साथ भारत लौटीं और भोजपुर जिले के आरा में परमेश्वर साहा से उनकी शादी हुई।
पिछले 40 वर्षों से सुमित्रा भारत में वीजा लेकर रह रही थीं। हर साल वीजा एक्सटेंशन के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ता था। 2024 में वीजा आवेदन के दौरान उन्हें CAA की जानकारी मिली, जिसके बाद उनकी बेटी ऐश्वर्या ने ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया पूरी की।
“यह दिन मेरे लिए किसी सपने के सच होने जैसा है। अब मैं खुद को भारतीय नागरिक कह सकती हूं।” – सुमित्रा रानी साहा
CAA और बिहार में नई शुरुआत
CAA 2019 का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करना है। सुमित्रा रानी साहा का यह मामला CAA के तहत बिहार में पहली नागरिकता प्रदान करने का ऐतिहासिक उदाहरण है।
सामाजिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद क्षेत्र में चर्चा है कि CAA के तहत और भी कई लोगों को नागरिकता मिलने की उम्मीद है। यह कदम केंद्र सरकार की नागरिकता नीति का महत्वपूर्ण उदाहरण है।
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