बिहार के जमुई जिले में नहीं हुआ सरस्वती पूजा, प्रशासन ने किया हस्तक्षेप

बिहार के जमुई जिले के सोनो प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय लालीलावर गंडा में 1 फरवरी को लायी गई मां सरस्वती की प्रतिमा के साथ पूजा नहीं की जा सकी। हेडमास्टर अली हुसैन ने इसे तीन दिनों तक एक कमरे में बंद कर रखा और स्कूल में पूजा की अनुमति नहीं दी। इससे ग्रामीणों में गहरी नाराजगी देखी गई।

ग्रामीणों का आक्रोश

1 फरवरी को स्कूल में मां सरस्वती की प्रतिमा लायी गई थी, लेकिन हेडमास्टर अली हुसैन ने उसे एक कमरे में बंद कर ताला लगा दिया था। जब ग्रामीणों को इस बारे में जानकारी मिली, तो उनका आक्रोश फूट पड़ा और उन्होंने तुरंत स्थानीय प्रशासन को सूचित किया।

“हेडमास्टर ने तीन दिनों तक पूजा नहीं करने दी। गांव में सभी लोग ब्रह्म बाबा की पूजा में व्यस्त थे, लेकिन जब हमें जानकारी मिली, तो हम प्रशासन से संपर्क किए।”

प्रशासन का हस्तक्षेप

सूचना मिलने के बाद सोनो के अंचलाधिकारी और स्थानीय थाने की पुलिस स्कूल पहुंचे। उन्होंने

“मूर्ति को बंद कमरे से बाहर निकालकर पूजा अर्चना कराई।”

5 फरवरी को, प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में मूर्ति की पूजा की गई, जो तीन दिन बाद संभव हो पाई।

ग्रामीणों का आरोप

ग्रामीणों का आरोप है कि चूंकि हेडमास्टर का धर्म अलग था, इसलिए उन्होंने स्कूल में पूजा करने से मना किया। ग्रामीण रघुनाथ यादव ने कहा,

“हमारे गांव में 3 फरवरी को पूजा हुई, लेकिन हमारे स्कूल में दो दिन बाद पूजा हुई, केवल प्रशासन के हस्तक्षेप से।”

अंचलाधिकारी का बयान

अंचलाधिकारी सुमित कुमार आशीष ने बताया कि उन्हें सूचना मिलने पर वे पूजा करवाई। उन्होंने कहा,

“मां सरस्वती की पूजा की प्राथमिकता थी, और इस मामले को शिक्षा विभाग और जिलाधिकारी के संज्ञान में दिया जाएगा।”

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