#पटना #पंचायती_राज : पंचायत प्रतिनिधियों ने उठाई आवाज़ – “कब मिलेगा हमारा अधिकार?”, राजनीतिक दलों के दफ्तरों पर लगाए पोस्टर
- बिहार चुनाव से पहले पंचायत प्रतिनिधियों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा
- पटना के कई चौराहों और पार्टी कार्यालयों पर लगाए गए तीखे पोस्टर
- मुखिया और सरपंच संघ ने उठाई प्रशासनिक अधिकार की मांग
- ‘बिहार में सबसे नीचे पंचायती राज क्यों है?’ – पोस्टर में पूछा गया सवाल
- पंचायती व्यवस्था को कमजोर करने का लगाया आरोप
पोस्टरों के जरिए सत्ताधारी दलों पर निशाना
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सरकार को पंचायत प्रतिनिधियों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। मुखिया और पंच-सरपंच संघ के बैनर तले जनप्रतिनिधियों ने राजधानी पटना में अनोखे तरीके से विरोध प्रदर्शन करते हुए पोस्टरबाजी का सहारा लिया है।
राजधानी के विभिन्न चौक-चौराहों, साथ ही भाजपा, जदयू, राजद जैसे प्रमुख दलों के कार्यालयों के बाहर बड़े-बड़े पोस्टर लगाए गए, जिनमें पंचायती राज व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
पोस्टरों में दर्ज है जनप्रतिनिधियों की पीड़ा
इन पोस्टरों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सीधे सवाल किए गए हैं। पोस्टर का प्रमुख स्लोगन है:
“कब मिलेगा हमारा अधिकार? बिहार में सबसे नीचे पंचायती राज क्यों है?”
पोस्टरों में आरोप लगाया गया है कि जब पंचायत प्रतिनिधि अपने अधिकार की मांग करते हैं, तो उन्हें या तो आश्वासन देकर टाल दिया जाता है या चुप करा दिया जाता है।
ग्राम कचहरी और पंचायती व्यवस्था को बताया जा रहा कमजोर
मुखिया संघ के प्रदेश अध्यक्ष मिथिलेश कुमार राय और पंच-सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमोद कुमार निराला के नेतृत्व में यह प्रदर्शन किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि:
- ग्राम कचहरी और पंचायती राज प्रणाली को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है
- संविधान ने जिन अधिकारों की बात कही, वे अब तक नहीं मिले
- पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशासनिक अधिकार नहीं दिए जा रहे, जिससे वे अपने क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से विकास कार्य नहीं करा पा रहे हैं
सरकार की नजरअंदाजी से बढ़ रही नाराजगी
पंचायत प्रतिनिधियों का मानना है कि सरकार नीतिगत रूप से उनकी भूमिका की अनदेखी कर रही है। चुनाव से पहले जिस तरह का यह विरोध सामने आया है, उसने राजनीतिक दलों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
मुखिया और सरपंच संघ अब विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखाने की रणनीति बना रहे हैं, ताकि उन्हें अधिकार दिलाया जा सके।
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