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बिजली संकट पर सवाल और चुनावी रणभूमि का नया अध्याय: झारखंड में बीजेपी का संतुलन साधने का प्रयास

बिजली संकट पर सवाल, सरमा का दिवाली संदेश

असम के मुख्यमंत्री और झारखंड विधानसभा चुनाव के सह-प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने हाल ही में झारखंड में बिगड़ते बिजली संकट और राज्य की वर्तमान सरकार पर गंभीर सवाल उठाए। दीवाली के अवसर पर, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो संदेश के साथ अपनी चिंताओं को व्यक्त किया।

इसके अलावा, सरमा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उम्र विवाद, घुसपैठियों से जुड़े मुद्दे, और आदिवासी समुदाय पर बयानबाज़ी जैसे विषयों पर भी तीखी टिप्पणियां कीं। इस सबके बीच, बीजेपी नेता सत्यानंद झा के साथ उनकी मुलाकात और चुनावी रणनीति को लेकर उनके विचारों ने राज्य की राजनीति में नई हलचल मचा दी है।

दीवाली पर बिजली संकट का मुद्दा: सरमा का राज्य सरकार पर प्रहार

दीवाली के पर्व पर सरमा ने झारखंड में बिजली संकट का मुद्दा उठाते हुए एक वीडियो के माध्यम से कहा, “झारखंड के कोयले से असम तक बिजली पहुंचती है, लेकिन झारखंड के इस गांव में 22 घंटे से बिजली नहीं है।” उन्होंने झारखंड की सरकार पर आरोप लगाया कि जहां राज्य से देश के अन्य हिस्सों में बिजली पहुंचाई जाती है, वहीं राज्य के खुद के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की कमी है। सरमा ने बिजली की अनुपलब्धता पर सवाल उठाते हुए झारखंड के नागरिकों की समस्याओं को केंद्र में रखते हुए कहा कि मौजूदा सरकार जनता की आवश्यकताओं को अनदेखा कर रही है।

सरमा ने एक कार्यकर्ता का जिक्र भी किया, जो पार्टी से नाखुश था। उन्होंने कहा, “आज दिवाली के अवसर पर हमारे एक कार्यकर्ता पार्टी के गठन से नाखुश थे। उन्हें समझाया कि संगठन मां की तरह होता है, जो हमेशा सही दिशा में मार्गदर्शन करती है।” उन्होंने यह संदेश झारखंड के स्थानीय नेताओं को संगठन के प्रति उनकी वफादारी और विश्वास को मजबूत करने के लिए दिया।

हेमंत सोरेन की उम्र विवाद पर कटाक्ष: फर्जीवाड़े का आरोप

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उम्र को लेकर चल रहे विवाद पर भी सरमा ने अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की पार्टी “फर्जी” है और उनके नेताओं के हलफनामों में उम्र की गड़बड़ियां दिखाई देती हैं। बीजेपी के अनुसार, हेमंत सोरेन ने अपने हलफनामे में अपनी उम्र को पांच साल में सात वर्ष बढ़ा कर दिखाया है। सरमा ने यह भी कहा कि ऐसी सरकार के रहते राज्य में सामाजिक सुरक्षा पर खतरा है, क्योंकि यह “घुसपैठियों की सरकार” है। उन्होंने झारखंड के लोगों को चेताते हुए कहा कि राज्य में अगर झामुमो की सरकार दोबारा सत्ता में आती है, तो यहां का कोई भी समाज सुरक्षित नहीं रहेगा।

कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी पर हमला: आदिवासी समुदाय के लिए कथित अपमान

सरमा ने झारखंड कांग्रेस के विधायक इरफान अंसारी के आदिवासी समुदाय के खिलाफ कथित बयानों पर भी तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि अंसारी ने आदिवासी समाज के खिलाफ अनाप-शनाप बातें कहीं, लेकिन सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। सरमा ने इस बात को रेखांकित करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार में आलमगीर आलम और इरफान अंसारी जैसे नेताओं का ही दबदबा है, जो राज्य के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर रहा है। उन्होंने राज्य के मतदाताओं को इस प्रकार की मानसिकता से सावधान रहने की सलाह दी और इसे समाज के लिए खतरा बताया।

बीजेपी नेता सत्यानंद झा के साथ मुलाकात: निर्दलीय चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की कोशिश

गुरुवार को सरमा ने झारखंड के पूर्व मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सत्यानंद झा से मुलाकात की। झा, जिन्हें नाला विधानसभा सीट से टिकट नहीं दिया गया, निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। सरमा ने झा को मनाने की कोशिश की कि वह निर्दलीय के रूप में नामांकन वापस लें और बीजेपी का समर्थन करें।

नाला उन 38 सीटों में से एक है जहां दूसरे चरण में 20 नवंबर को मतदान होगा। मीडिया से बातचीत के दौरान सरमा ने कहा, “हमने झा से अपना नामांकन वापस लेने और चुनाव में बीजेपी की मदद करने का अनुरोध किया।” उन्होंने स्वीकार किया कि पार्टी टिकट न दे पाने के कारण झा नाराज हुए, और उनके चुनावी मैदान में उतरने के फैसले ने बीजेपी के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है।

दूसरी ओर, सत्यानंद झा ने स्पष्ट किया कि वह अपने समर्थकों से बातचीत के बाद ही अंतिम निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा,

“सरमा ने मुझसे उस वक्त मुलाकात की, जब नामांकन वापस लेने में कुछ ही घंटे बचे थे। मैं अब भी चुनाव मैदान में हूं। अपने समर्थकों से चर्चा करने के बाद ही निर्णय लूंगा।”

बीजेपी की चुनावी रणनीति और झारखंड में सियासी समीकरण

झारखंड के चुनावी परिदृश्य में बीजेपी की स्थिति और भविष्य को लेकर सरमा की ये मुलाकातें और बयानबाजियां राज्य में पार्टी के आधार को मजबूत करने की ओर इशारा कर रही हैं। सरमा के त्वरित निर्णय और आक्रामक बयान बताते हैं कि बीजेपी राज्य में अपनी स्थिति को लेकर गंभीर है और इसे झारखंड के लिए एक निर्णायक मोड़ बनाने की कोशिश कर रही है।

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