
#हजारीबाग #बिरहोरसमुदाय_की_उड़ान – वनग्राम जमुनियातरी से निकली सफलता की किरण, बदल रही है आदिवासी बेटियों की तकदीर
- चौपारण प्रखंड के जमुनियातरी गांव की दो बिरहोर बेटियों ने मैट्रिक परीक्षा में पाई प्रथम श्रेणी
- किरण कुमारी को 409 अंक और चानवा कुमारी को 332 अंक प्राप्त हुए
- दोनों छात्राएं कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय चौपारण की हैं
- उपायुक्त शशि प्रकाश सिंह ने दी बधाई, उज्जवल भविष्य की कामना की
- आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय में शिक्षा को लेकर दिखा नया उत्साह
वनांचल की बेटियों ने जोड़ी उम्मीद की किरण
हजारीबाग जिले के चौपारण प्रखंड के सुदूर वन क्षेत्र में स्थित जमुनियातरी गांव की दो बेटियों ने झारखंड राज्य में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय से ताल्लुक रखने वाली किरण कुमारी और चानवा कुमारी ने झारखंड बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी से सफलता प्राप्त कर समाज के सामने एक सशक्त उदाहरण प्रस्तुत किया है।
किरण कुमारी, रोहन बिरहोर की बेटी हैं, जिन्होंने 409 अंक (करीब 80%) हासिल किए। वहीं विष्णु बिरहोर की बेटी चानवा कुमारी ने 332 अंक (करीब 66%) के साथ परीक्षा उत्तीर्ण की। यह दोनों छात्राएं कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, चौपारण की हैं, जहां इन्हें आवासीय शिक्षा और उचित मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
शासन का प्रोत्साहन और समाज के लिए संदेश
हजारीबाग उपायुक्त शशि प्रकाश सिंह ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए दोनों छात्राओं को सम्मानित करने की बात कही। उन्होंने अपने बयान में कहा:
“चौपारण प्रखंड के गांव जमुनियातरी की आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय की दो बच्चियों ने रचा कीर्तिमान। मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण कर राज्य के लिए प्रेरणा बनेंगी। दोनों बच्चियों को बधाई व उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देता हूँ। आशा करता हूँ कि, वे दोनों अपने समाज में बदलाव की अग्रदूत बनेंगीं।”
इस बयान से स्पष्ट होता है कि प्रशासन बिरहोर जैसी संवेदनशील जनजातियों की शिक्षा को लेकर गंभीर है और ऐसे उदाहरणों को प्रेरणा स्रोत मानता है।
आदिवासी शिक्षा की दिशा में प्रेरणादायक उपलब्धि
यह सफलता सिर्फ दो छात्राओं की नहीं, बल्कि पूरे बिरहोर समाज की है, जो लंबे समय से शैक्षिक पिछड़ेपन का शिकार रहा है। किरण और चानवा की यह उपलब्धि अन्य बिरहोर परिवारों को अपनी बेटियों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करेगी। यह इस बात का संकेत है कि अगर सरकारी योजनाएं, संस्थागत सहयोग और छात्रवृत्तियां सही ढंग से लागू हों, तो हर समुदाय शिक्षा की मुख्यधारा से जुड़ सकता है।
कस्तूरबा विद्यालय की भूमिका रही अहम
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय चौपारण ने इन दोनों बेटियों की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहां की शिक्षिकाओं ने न सिर्फ उन्हें शैक्षणिक सहयोग दिया, बल्कि मानसिक समर्थन और आत्मविश्वास भी प्रदान किया, जो खासतौर पर जनजातीय छात्राओं के लिए अत्यंत आवश्यक होता है।
न्यूज़ देखो : जनजातीय उत्थान की कहानियों पर पैनी नजर
न्यूज़ देखो ऐसे हर प्रयास की सराहना करता है, जो समाज के हाशिए पर रहने वाले समुदायों को मुख्यधारा में लाने का कार्य कर रहा है। किरण और चानवा की यह उपलब्धि एक उदाहरण है कि जब सही मार्गदर्शन, शिक्षा और समर्थन मिलता है, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।
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