#रांची #सीबीआईजांच : भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन जाकर ज्ञापन सौंपा – गोड्डा जिले में सूर्या हांसदा के कथित पुलिस एनकाउंटर को सुनियोजित हत्या बताते हुए निष्पक्ष जांच और सुरक्षा की मांग की
- भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने 29 अगस्त 2025 को महामहिम राज्यपाल से मुलाकात की।
- गोड्डा जिले में 11 अगस्त को हुए सूर्या हांसदा के कथित एनकाउंटर पर सवाल उठाए गए।
- सीबीआई जांच सुनिश्चित कराने हेतु ज्ञापन सौंपा गया।
- परिवार और वकील की सुरक्षा की गारंटी की मांग की गई।
- राजनीतिक साजिश और पुलिस गठजोड़ पर गंभीर आरोप लगाए गए।
झारखंड की राजनीति में एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। 11 अगस्त 2025 को गोड्डा जिले में हुए सूर्या हांसदा के कथित पुलिस एनकाउंटर को भाजपा ने सुनियोजित हत्या बताया है। 29 अगस्त को भाजपा झारखंड प्रदेश का प्रतिनिधिमंडल महामहिम राज्यपाल से मिला और ज्ञापन सौंपते हुए इस मामले की सीबीआई जांच कराने का अनुरोध किया। पार्टी ने कहा कि राज्य सरकार मामले को दबाने की कोशिश कर रही है जबकि परिजन और स्थानीय लोग लगातार न्याय की मांग कर रहे हैं।
राज्यपाल से भाजपा प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात
रांची स्थित राजभवन में भाजपा झारखंड प्रदेश का प्रतिनिधिमंडल 29 अगस्त 2025 को राज्यपाल से मिला। इसमें प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, सांसद आदित्य साहू समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल थे। नेताओं ने ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि सूर्या हांसदा का एनकाउंटर असल में सुनियोजित हत्या है और इसकी सच्चाई केवल सीबीआई जांच से सामने आ सकती है।
भाजपा नेताओं ने कहा: “यह केवल एक हत्या नहीं, बल्कि न्याय व्यवस्था पर चोट है। एक सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता को इस तरह खत्म कर देना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।”
सूर्या हांसदा की गिरफ्तारी और मौत पर सवाल
भाजपा ने अपने ज्ञापन में कहा कि सूर्या हांसदा को 10 अगस्त को देवघर जिले के नावाडीह गाँव से पुलिस ने उठाया। गिरफ्तारी के बाद उनका न तो मेडिकल टेस्ट कराया गया और न ही किसी अदालत में पेश किया गया। वे उस समय टाइफाइड से पीड़ित थे और हाल ही में वेल्लोर अस्पताल से इलाज कर लौटे थे। अगले दिन 11 अगस्त को महागामा के ललमटिया में पुलिस ने उनका एनकाउंटर दिखाकर हत्या कर दी।
परिजनों ने आरोप लगाया कि पूरे घटनाक्रम में कई विसंगतियाँ हैं। जिस स्थान पर एनकाउंटर बताया गया वहाँ पत्रकारों और स्थानीय लोगों को जाने से रोका गया। जब शव उठाए जाने के बाद लोग पहुँचे तो वहाँ खून की एक बूंद तक नहीं थी। इससे साफ है कि पुलिस ने तथ्यों को छुपाने की कोशिश की।
अपराधी या सामाजिक कार्यकर्ता
पुलिस ने सूर्या हांसदा को अपराधी साबित करने की कोशिश की और उनके खिलाफ 24 मामलों का हवाला दिया। लेकिन भाजपा ने दस्तावेज़ों के आधार पर कहा कि इनमें से 14 मामलों में वे बरी हो चुके थे, पाँच मामलों में जमानत पर थे और बाकी पाँच मामले विचाराधीन थे। अदालत ने उन्हें कभी अपराधी घोषित नहीं किया।
सूर्या हांसदा ने चार बार बोरियो विधानसभा से चुनाव लड़ा था और वे लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था रखने वाले व्यक्ति थे। वे ललमटिया स्थित चाँद भैरव राजा राज विद्यालय संचालित कर गरीब आदिवासी बच्चों की पढ़ाई और देखभाल की जिम्मेदारी उठाते थे। भाजपा का कहना है कि ऐसा व्यक्ति अपराधी नहीं बल्कि समाजसेवी था।
भाजपा की सक्रियता और जांच की मांग
भाजपा ने इस मुद्दे को लगातार उठाया है। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में सात सदस्यीय टीम बनाकर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई। इस रिपोर्ट में परिजनों, स्थानीय लोगों और उनके वकील से तथ्य जुटाए गए। सांसद आदित्य साहू ने इस मामले को राज्यसभा में उठाया और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने भी स्वतः संज्ञान लिया है। भाजपा ने कहा कि वह हरसंभव प्रयास करेगी कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सजा मिले।
अर्जुन मुंडा ने कहा: “हमने परिजनों से मिलकर स्थिति का प्रत्यक्ष अध्ययन किया है। यह मामला केवल कानून का नहीं बल्कि जनहित का भी है।”
राजनीतिक दबाव और साजिश का आरोप
भाजपा ने ज्ञापन में आरोप लगाया कि सूर्या हांसदा को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे अवैध खनन, आदिवासी जमीन पर कब्जा, बांग्लादेशी घुसपैठ और आदिवासी बच्चियों के शोषण जैसे गंभीर मुद्दों पर लगातार आवाज उठा रहे थे। आरोप है कि मुख्यमंत्री के बरहेट विधायक प्रतिनिधि की इस फर्जी एनकाउंटर में संदिग्ध भूमिका है। परिजनों और कई लोगों को पूरा शक है कि यह हत्या राजनीतिक साजिश के तहत की गई है।
परिवार और वकील की सुरक्षा पर चिंता
भाजपा ने राज्यपाल को बताया कि सूर्या हांसदा के परिजन और उनके वकील वर्तमान में भय और असुरक्षा के माहौल में जी रहे हैं। उनके मन में यह डर बैठ चुका है कि सच सामने लाने पर उन्हें भी खतरा हो सकता है। इसलिए राज्यपाल से अनुरोध किया गया कि परिवार और वकील को तत्काल सुरक्षा प्रदान की जाए।
राज्य सरकार पर लापरवाही का आरोप
भाजपा का कहना है कि राज्य सरकार इस मामले की सच्चाई उजागर नहीं करना चाहती। पार्टी नेताओं ने कहा कि सरकार केवल तब सक्रिय होती है जब राजभवन या हाईकोर्ट से निर्देश जारी होते हैं। अन्यथा वह नियमों और कानूनों की अनदेखी करती है। यही कारण है कि इस गंभीर मामले में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
न्यूज़ देखो: न्याय की उम्मीद और लोकतंत्र की कसौटी
सूर्या हांसदा का मामला झारखंड की न्याय व्यवस्था और राजनीतिक माहौल दोनों पर सवाल खड़ा करता है। यदि आरोप सही हैं तो यह पुलिस और सत्ता के गठजोड़ की भयावह तस्वीर पेश करता है। ऐसे मामलों में निष्पक्ष जांच के बिना लोकतंत्र की विश्वसनीयता खतरे में पड़ सकती है। राज्यपाल से की गई मांग अब परिजनों और जनता की उम्मीदों का केंद्र है।
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