रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर भाजपा ने नाराज नेताओं को साधने के लिए ‘एकजुटता मिशन’ शुरू किया है। पार्टी नेतृत्व ने यह महसूस किया है कि चुनाव के समय पार्टी में एकजुटता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए भाजपा के वरिष्ठ नेता, जिनमें झारखंड के चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान, सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा और केंद्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष शामिल हैं, खुद नाराज नेताओं को मनाने के इस अभियान में जुटे हैं। इन नेताओं का प्रयास है कि नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से पहले बागियों को मनाकर भाजपा को चुनाव में मजबूती से प्रस्तुत किया जा सके।
डॉ. रवींद्र कुमार राय को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर मनाया गया
इस अभियान के तहत सबसे पहले डॉ. रवींद्र कुमार राय को पार्टी ने प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उन्हें मनाने में सफलता प्राप्त की। डॉ. राय गिरिडीह के विभिन्न सीटों से टिकट की मांग कर रहे थे, और उनके निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतरने की चर्चाएँ थीं। जब शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा ने उन्हें मनाया और कार्यकारी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी, तो उन्होंने पार्टी में बने रहने का फैसला किया।
पोटका में मिली दूसरी बड़ी सफलता
पोटका सीट से पूर्व विधायक मेनका सरदार ने पहले पार्टी से नाराजगी जाहिर करते हुए इस्तीफा दे दिया था। उन्हें मनाने के लिए अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा स्वयं उनके पास गईं, जिसके परिणामस्वरूप मेनका सरदार ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। इस कदम से भाजपा को इस सीट पर मजबूती मिली है।
बागियों का जेएमएम में शामिल होना एक नया संकट
हालांकि, भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता जैसे लुईस मरांडी, गणेश महाली, कुणाल षाड़ंगी, अनंत राम टुडू, और केदार हाजरा ने पार्टी छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) का दामन थाम लिया है। जेएमएम ने इन नेताओं को महत्वपूर्ण सीटों से उम्मीदवार भी घोषित किया है, जिससे भाजपा को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
कई नेताओं ने निर्दलीय रूप में किया नामांकन
कुछ भाजपा नेता, जिनमें मुनचुन राय, उत्तर यादव, संदीप वर्मा और कमलेश राम शामिल हैं, ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। हिमंता बिस्वा सरमा खुद इन नेताओं से मिलने पहुंचे ताकि उन्हें मनाकर पार्टी में वापस लाया जा सके।
नामांकन वापस लेने की संभावना
भाजपा का ‘एकजुटता मिशन’ अभी भी जारी है, और उम्मीद है कि गुमला, मधुपुर, धनवार, और जुगसलाई के बागी नेताओं को भी मनाने में सफलता मिलेगी। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि कुछ बागी नेता जल्द ही अपने नामांकन वापस ले सकते हैं।
पार्टी के लिए चुनौती और एकजुटता बनाए रखने का प्रयास
झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा के सामने बागियों को संभालना एक बड़ी चुनौती बन गई है। हालांकि, पार्टी नेतृत्व ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हुए यह साबित किया है कि भाजपा एकजुटता के महत्व को समझती है और अपने नाराज नेताओं को साधने के लिए पूरी कोशिश कर रही है।