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भाजपा में बगावत की बयार, सत्येंद्र पर उठे सवाल—देंगे बड़ा इशारा!

गढ़वा विधानसभा चुनाव क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी सत्येंद्र नाथ तिवारी के खिलाफ पार्टी के भीतर तीव्र असंतोष और बगावत की स्थिति उत्पन्न हो गई है। भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य अलखनाथ पांडे द्वारा आरके पब्लिक स्कूल में आयोजित पत्रकार वार्ता में लगभग तीन दर्जन भाजपा नेताओं ने खुलकर पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए और प्रत्याशी बदलने की जोरदार मांग की।

पार्टी कार्यकर्ताओं का असंतोष:
भाजपा नेताओं का कहना है कि उन्होंने शुरुआत से ही गढ़वा विधानसभा क्षेत्र से एक समर्पित और स्थानीय पार्टी कार्यकर्ता को उम्मीदवार बनाए जाने की मांग की थी। इन नेताओं का आरोप है कि पार्टी नेतृत्व ने उनकी मांग को अनदेखा कर सत्येंद्र नाथ तिवारी को टिकट दिया, जबकि तिवारी का भाजपा-विरोधी रवैया और पार्टी के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण रहा है। उनके अनुसार, तिवारी का व्यवहार लंबे समय से पार्टी कार्यकर्ताओं के प्रति अपमानजनक रहा है, जिससे पार्टी के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष और निराशा व्याप्त हो गई है।

विश्वासघात के आरोप:
भाजपा के नाराज नेताओं ने सत्येंद्र नाथ तिवारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि तिवारी ने हमेशा उनके मान-सम्मान को ठेस पहुंचाई है और उनके योगदान की अनदेखी की है। इस व्यवहार ने पार्टी के प्रति उनके विश्वास को कमजोर कर दिया है। नेताओं का कहना था कि सत्येंद्र नाथ तिवारी ने पार्टी के विचारों और आदर्शों का पालन नहीं किया है और पार्टी के प्रति उनका समर्थन भी संदिग्ध रहा है। इस स्थिति में वे उन्हें भाजपा का योग्य उम्मीदवार नहीं मानते।

बड़ा कदम उठाने की चेतावनी:
पत्रकार वार्ता के दौरान नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को 25 अक्तूबर तक का समय देते हुए चेतावनी दी कि यदि उस तारीख तक सत्येंद्र नाथ तिवारी को बदलकर किसी अन्य समर्पित और योग्य कार्यकर्ता को प्रत्याशी नहीं बनाया गया, तो वे मजबूरन कोई बड़ा कदम उठाएंगे। हालांकि, उन्होंने इस “बड़े कदम” का खुलासा नहीं किया, लेकिन संकेत दिया कि पार्टी के लिए यह कदम चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकता है।

उपस्थित इस विरोध प्रदर्शन में गढ़वा विधानसभा क्षेत्र के कई प्रमुख भाजपा नेता उपस्थित थे, जिनमें अलखनाथ पांडे, भगत सिंह, राजीव राज तिवारी, प्रमोद चौबे, अंजनी तिवारी, संजय ठाकुर, महेंद्र सिंह, चंदन जायसवाल, गौरी शंकर बिंद, रामेश्वर सिंह, गिरिन्द्र पांडेय और राम शरीख चंद्रा प्रमुख रूप से शामिल थे।

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