
#बानो #सिमडेगा : डाक बंगला से प्रखंड कार्यालय तक पदयात्रा कर भाजपाइयों ने सरकार के खिलाफ की नारेबाजी
- भाजपा कार्यकर्ताओं ने बानो में सरकार के खिलाफ पदयात्रा की।
- फर्जी एनकाउंटर में सूर्या हांसदा की मौत पर सीबीआई जांच की मांग।
- आदिवासी रैयतों की जमीन छीने जाने के आरोप लगाए गए।
- पूर्व विधायक कोचे मुंडा ने सरकार को भ्रष्टाचारी बताया।
- प्रदर्शन के बाद बीडीओ नईमुद्दीन अंसारी को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया।
बानो (सिमडेगा) में भारतीय जनता पार्टी बानो मंडल के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को मौजूदा सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। डाक बंगला बानो से प्रखंड कार्यालय तक निकाली गई पदयात्रा के दौरान कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार पर भ्रष्टाचार और आदिवासियों के अधिकार छीनने का आरोप लगाया।
सूर्या हांसदा एनकाउंटर पर सवाल
पूर्व विधायक कोचे मुंडा ने इस मौके पर कहा कि सरकार के इशारे पर आदिवासी नेता सूर्या हांसदा का फर्जी एनकाउंटर किया गया है। उन्होंने मांग की कि इस घटना की जांच सीबीआई से कराई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके।
कोचे मुंडा: “यह सरकार पूरी तरह भ्रष्टाचारी है। हर सरकारी दफ्तर में काम कराने के लिए पैसे की जरूरत होती है। आदिवासी नेताओं को झूठे एनकाउंटर में मारना और रैयतों की जमीन छीनना लोकतंत्र की हत्या है।”
जमीन विवाद और पेशा कानून
भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि रिम्स-2 परियोजना के नाम पर आदिवासियों की खेती योग्य जमीन छीनी जा रही है। उन्होंने कहा कि यह आदिवासियों के अधिकारों पर सीधा प्रहार है और इसके विरोध में राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा। साथ ही, उन्होंने मांग की कि सरकार तत्काल पेशा कानून लागू करे।
ज्ञापन सौंपा गया
पदयात्रा के बाद भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने प्रखंड विकास पदाधिकारी नईमुद्दीन अंसारी को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपकर सीबीआई जांच और आदिवासी रैयतों की जमीन वापस लौटाने की मांग की।
मौके पर जुटे कार्यकर्ता
इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे। इनमें प्रमुख रूप से पूर्व विधायक कोचे मुंडा, कार्यक्रम प्रभारी भूषण प्रसाद साहू, बानो प्रखंड अध्यक्ष बालमुकुंद सिंह, महिला मोर्चा प्रखंड अध्यक्ष रीना देवी, महामंत्री बलराम सिंह, महिला मोर्चा रेणु कुमारी, संजय वर्मा, सीता देवी, राबू कंडुलना सहित कई कार्यकर्ता शामिल थे।

न्यूज़ देखो: आदिवासी अस्मिता बनाम सत्ता का संघर्ष
बानो की सड़कों पर भाजपा कार्यकर्ताओं का यह प्रदर्शन बताता है कि आदिवासियों की जमीन और नेतृत्व का सवाल अब राजनीतिक गरमी पकड़ रहा है। सूर्या हांसदा एनकाउंटर का मामला आदिवासी समाज में असंतोष को और गहरा कर रहा है। सरकार को इस मामले में संवेदनशील रवैया अपनाना होगा अन्यथा विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाकर जनसमर्थन जुटा सकता है।
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