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बिरनी में भाजपा कार्यकर्ताओं का घेराव: सूर्या हांसदा एनकाउंटर और नगड़ी जमीन विवाद पर सरकार के खिलाफ हल्ला बोल

#बिरनी #राजनीति : भाजपा कार्यकर्ताओं ने पैदल मार्च कर प्रखंड मुख्यालय का घेराव किया और सीबीआई जांच सहित रैयती जमीन बचाने की मांग उठाई

बिरनी प्रखंड में गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी बिरनी मंडल और भरकट्टा मंडल के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने मिलकर जोरदार प्रदर्शन किया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत कार्यकर्ताओं ने पलॉजिया हाट से पैदल मार्च शुरू कर प्रखंड मुख्यालय तक जुलूस निकाला। प्रखंड मुख्यालय पहुंचकर उन्होंने घेराव किया और सूर्या हांसदा एनकाउंटर मामले की सीबीआई जांच तथा नगड़ी के आदिवासी रैयतों की जमीन बचाने की मांग की।

सूर्या हांसदा एनकाउंटर पर सरकार घिरी

इस दौरान भाजपा नेताओं ने स्पष्ट किया कि जब तक सूर्या हांसदा के फर्जी एनकाउंटर की जांच सीबीआई को नहीं सौंपी जाती, आंदोलन जारी रहेगा। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार अपने संरक्षण में अपराध और अन्याय को बढ़ावा दे रही है।

जिप उपाध्यक्ष छोटेलाल यादव ने कहा: “भाजपा कार्यकर्ताओं ने पूरे झारखंड में प्रखंड मुख्यालयों का घेराव किया है। यह जनता की आवाज है जिसे अनसुना नहीं किया जा सकता।”

भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल

बिरनी मंडल अध्यक्ष राजदेव साव ने कहा कि मौजूदा सरकार में भ्रष्टाचार इस कदर फैला हुआ है कि गरीब आदमी को महीनों तक सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगाने के बाद भी उसका काम नहीं हो पाता। वहीं, पूर्व मुखिया प्रेमचंद प्रसाद कुशवाहा ने आरोप लगाया कि अपराधी और माफिया सरकार के संरक्षण में पल रहे हैं और ईमानदार सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं को झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है।

उपस्थित नेता और कार्यकर्ता

इस विरोध कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भाजपा नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए। इनमें प्रमुख रूप से पूर्व प्रमुख प्रतिनिधि मनोज कुमार सिंह, जिला कार्यसमिति सदस्य लक्ष्मण दास, जिला मीडिया प्रभारी सूरज मोदी, मुखिया दिलीप रविदास, रामकृष्ण वर्मा, मुखिया सत्येंद्र राउत, विक्रम तर्वे, प्रवीण प्रभाकर, रामलखन यादव, सुरेंद्र यादव, पूर्व मंडल अध्यक्ष मनोज चंद्रवंशी, बीरेंद्र यादव समेत सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।

न्यूज़ देखो: आदिवासी अस्मिता की लड़ाई में तेज होती राजनीति

बिरनी में भाजपा का यह प्रदर्शन बताता है कि सूर्या हांसदा एनकाउंटर और नगड़ी जमीन विवाद अब राज्य की राजनीति के बड़े मुद्दे बनते जा रहे हैं। सरकार के खिलाफ लगातार उठ रही आवाजें यह संकेत देती हैं कि आदिवासी समाज का आक्रोश गहराता जा रहा है। अगर समय रहते समाधान नहीं निकाला गया तो यह मुद्दा राज्य में राजनीतिक समीकरण बदल सकता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

आदिवासी हक की लड़ाई अब और तेज

जनता की भागीदारी ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। अब समय है कि हम सभी मिलकर आदिवासी हक और अस्मिता की रक्षा में अपनी आवाज उठाएं। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को शेयर करें और समाज को जागरूक करने में योगदान दें।

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