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चंदवा में भाजपाइयों का आक्रोश मार्च: सूर्या हांसदा के फर्जी एनकाउंटर और नगड़ी की रैयती जमीन पर रिम्स 2 निर्माण का विरोध

#चंदवा #आंदोलन : आदिवासी अस्तित्व और लोकतंत्र पर हमले के खिलाफ भाजपा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन

चंदवा प्रखंड मुख्यालय में गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय ग्रामीणों ने जोरदार आक्रोश मार्च निकाला। सूर्या हांसदा के फर्जी एनकाउंटर और नगड़ी की रैयती जमीन पर रिम्स-2 निर्माण का विरोध करते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ नारे लगाए।

रैयती जमीन छीनने पर आक्रोश

आक्रोश मार्च का नेतृत्व मंडल अध्यक्ष अमित गुप्ता ने किया और प्रभारी के रूप में पंकज यादव उपस्थित रहे। मार्च चंदवा आईबी से शुरू होकर प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचा। यहां कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए – “सूर्या हांसदा का फर्जी एनकाउंटर बंद करो, आदिवासियों की रैयती जमीन छीनना बंद करो।”
मंडल अध्यक्ष अमित गुप्ता ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासियों की जमीन पर जबरन कब्जा कर सरकार विकास का ढिंढोरा पीट रही है। यह कदम आदिवासियों के अस्तित्व और पहचान पर सीधा हमला है।

एनकाउंटर पर उठे सवाल

सांसद प्रतिनिधि महेंद्र प्रसाद साहू ने कहा कि सूर्या हांसदा का एनकाउंटर न्यायिक प्रक्रिया के बिना किया गया है, जो लोकतंत्र के लिए काला अध्याय है। उन्होंने मांग की कि इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। विधायक प्रतिनिधि सुरेश यादव ने कहा कि यदि आदिवासियों की जमीन छीनने की प्रक्रिया तुरंत नहीं रोकी गई तो चंदवा से लेकर रांची तक बड़ा जनांदोलन खड़ा होगा।

रैयती जमीन है धरोहर

नवाहिर उरांव ने कहा कि रैयती जमीन केवल खेत नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और भविष्य की धरोहर है। इसे किसी भी कीमत पर छिनने नहीं दिया जाएगा।

कार्यक्रम का संचालन विधायक प्रतिनिधि आदर्श रवि राज ने किया।

भारी संख्या में कार्यकर्ताओं की मौजूदगी

इस मौके पर चंदवा मंडल प्रभारी पंकज यादव, निवर्तमान जिला मंत्री कुलामन साहू, मंडल महामंत्री दीपक निषाद, शिवकेश्वर यादव, मंडल उपाध्यक्ष आशीष सिंह, विजय दूबे, संजय साव, युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष विनय रिकी वर्मा, हिरामनी देवी, विभा देवी, राजनीति देवी समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और ग्रामीण मौजूद रहे।

न्यूज़ देखो: लोकतंत्र और जमीन दोनों की लड़ाई

चंदवा का यह प्रदर्शन सिर्फ एक प्रखंड की आवाज नहीं, बल्कि पूरे राज्य के आदिवासियों की पीड़ा और आक्रोश का प्रतीक है। एनकाउंटर और जमीन छीनने जैसे कदम जनमानस के विश्वास को तोड़ते हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार जनता की मांग सुनती है या आंदोलन और तेज होगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब समय है एकजुट होकर आवाज उठाने का

आदिवासियों के हक और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा सबकी जिम्मेदारी है। यदि हम मौन रहेंगे तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें ताकि आवाज और बुलंद हो सके।

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