
#पलामू #भाषा_विवाद : हिंदी, मगही, भोजपुरी को दरकिनार करने पर भाजपा का विरोध, बोले – नागपुरी पलामू-गढ़वा की भाषा नहीं
- भाजपा जिला मीडिया प्रभारी ने झारखंड सरकार की भाषा नीति को बताया जनविरोधी
- कहा – मगही, भोजपुरी और हिंदी बोलने वाले युवाओं के साथ हो रहा अन्याय
- आरोप – झामुमो सरकार युवाओं को भाषा विवाद में उलझाकर कर रही है भविष्य बर्बाद
- भाजपा ने चेताया – अगर सरकार नहीं मानी, तो छात्रों के साथ आंदोलन
- पिछली बार भी भाजपा विरोध के बाद भाषा से जुड़ा आदेश वापस लेना पड़ा था
रितेश चौबे का बयान: भाषा के नाम पर युवाओं के साथ अन्याय
पलामू। झारखंड की हेमंत सरकार की नई भाषा नीति को लेकर भाजपा ने जोरदार विरोध किया है। पलामू जिला भाजपा मीडिया प्रभारी रितेश चौबे ने तीखा हमला करते हुए कहा कि “हेमंत सरकार जानबूझकर भाषा का विवाद उत्पन्न कर झारखंड के युवाओं को गुमराह कर रही है और उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।”
उन्होंने साफ कहा कि नागपुरी भाषा का पलामू-गढ़वा क्षेत्र से कोई लेना-देना नहीं है। इस प्रमंडल के लोग हिंदी, मगही और भोजपुरी बोलते और समझते हैं, ऐसे में युवाओं को नौकरी की प्रक्रिया से बाहर कर देना पूरी तरह अनुचित और दुर्भाग्यपूर्ण है।
“झारखंड के 50% से ज्यादा लोग हिंदी, मगही और भोजपुरी बोलते हैं। ऐसे में सरकार जबरन एक विशेष भाषा को थोपकर युवाओं को हाशिए पर धकेल रही है।” — रितेश चौबे
पिछली बार भी झेल चुकी है सरकार विरोध
रितेश चौबे ने कहा कि हेमंत सरकार ने पिछले कार्यकाल में भी इसी तरह भाषा विवाद खड़ा किया था, जिस पर भाजपा ने खुलकर विरोध दर्ज कराया था और अंततः सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा था। अब एक बार फिर उसी विवादित भाषा नीति को लागू किया जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड की गठबंधन सरकार विकास की बजाय विवाद की राजनीति कर रही है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा स्थानीय युवा वर्ग को भुगतना पड़ रहा है।
बहाली से पहले भाषा विवाद का समाधान करें सरकार
रितेश चौबे ने माध्यमिक आचार्य बहाली की प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि जब तक भाषा नियमावली का समाधान नहीं किया जाता, किसी भी बहाली प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए।
“यह बहाली प्रक्रिया पूरी तरह जनविरोधी है। अगर हेमंत सरकार ने अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया, तो भाजपा चरणबद्ध आंदोलन शुरू करेगी।” — रितेश चौबे
विपक्ष से भी मांगा जवाब
रितेश चौबे ने झामुमो, कांग्रेस और राजद से भी स्पष्ट जवाब मांगा कि क्या ये दल हिंदी, मगही और भोजपुरी बोलने वाले युवाओं को झारखंडी नहीं मानते?
उन्होंने कहा कि पलामू प्रमंडल और गढ़वा के युवाओं के साथ सरकार के रवैये से गहरा असंतोष है, और भाजपा उनके भविष्य की लड़ाई पूरी ताकत से लड़ेगी।
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भाषाएं बांटें नहीं, जोड़ें – यही है विकास की भाषा
भाषा किसी भी समाज की पहचान होती है, लेकिन जब सरकारें भाषाओं के नाम पर लोगों को बांटने लगें, तो यह विकास की राह नहीं, विघटन की दिशा होती है। समय है कि जनहित को प्राथमिकता दी जाए, न कि विवाद को।