- किसानों को अनुदान पर दी जा रही बकरियों में अनियमितताएं।
- कमजोर और बीमार बकरियां दी जा रही हैं लाभुकों को।
- पशुपालन विभाग ने अनियमितता से इनकार किया।
- किसानों ने स्वस्थ और बेहतर नस्ल की बकरियां देने की मांग की।
योजना में अनियमितता का आरोप
गढ़वा जिले में किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए बकरी वितरण योजना शुरू की गई है। लेकिन यह योजना शुरू होने से पहले ही भ्रष्टाचार की चपेट में आ गई है। बेहतर नस्ल की बकरियां देने के बजाय लाभुकों को कमजोर और बीमार बकरियां दी जा रही हैं।
लाभुकों को हो रही समस्याएं
लाभुकों ने बताया कि उन्हें स्थानीय स्तर से सस्ती और कमजोर बकरियां दी जा रही हैं, जो बीमार भी हैं। इन बकरियों की स्थिति इतनी खराब है कि वे घर तक पहुंचने में भी असमर्थ हो सकती हैं। योजना के तहत किसानों को चार बकरियां और एक बकरा दिया जाना था, लेकिन योजना का लाभ अधूरा रह गया है।
सरकारी उद्देश्य पर उठे सवाल
योजना का उद्देश्य किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करना था। लेकिन कमजोर और बीमार बकरियां मिलने से उनकी संख्या बढ़ने की संभावना कम है। साथ ही बकरी पालन से जुड़े सामान और दवाइयों की आपूर्ति भी ठीक से नहीं की गई है।
पशुपालन विभाग का बयान
पशुपालन पदाधिकारी विद्यासागर सिंह ने अनियमितता के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि यह सब राजनीतिक कारणों से किया जा रहा है। उन्होंने योजना को पारदर्शी बताते हुए किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से इनकार किया।
लाभुकों की मांग
लाभुकों ने प्रशासन से स्वस्थ और बेहतर नस्ल की बकरियां देने की मांग की है। उनका कहना है कि कमजोर बकरियों से योजना का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। किसानों ने इस मामले में उचित जांच और कार्रवाई की अपील की है।
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