
#गिरिडीह #स्वास्थ्यघोटाला : सदर अस्पताल ब्लड बैंक से जुड़ा मामला मरीज के परिजनों ने बिचौलिए पर लगाया ब्लड की कालाबाजारी का आरोप
- गिरिडीह सदर अस्पताल ब्लड बैंक में खून की उपलब्धता से जुड़ा बड़ा मामला सामने आया।
- बेंगाबाद निवासी मंटू यादव की मां के इलाज के दौरान हुआ ब्लड खरीदने का विवाद।
- एबी नेगेटिव ब्लड के लिए मांगे गए 10 हजार रुपये।
- बिचौलिए ने मोबाइल नंबर देकर सौदा कराया।
- सिविल सर्जन ने मामले की जांच कर सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया।
गिरिडीह ज़िले से स्वास्थ्य व्यवस्था की बड़ी खामियों को उजागर करने वाला मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार, बेंगाबाद निवासी मंटू यादव अपनी मां के इलाज के लिए ब्लड बैंक पहुंचे थे, जहां उन्हें ब्लड न होने की बात कहकर लौटा दिया गया। इसके बाद एक बिचौलिए ने उन्हें एक मोबाइल नंबर दिया और वहां से एबी नेगेटिव ब्लड 10 हजार रुपये में उपलब्ध कराया गया। मजबूरी में परिजनों ने पैसा देकर खून खरीदा। इस घटना ने न सिर्फ अस्पताल प्रबंधन की भूमिका पर सवाल उठाए हैं बल्कि खून के अवैध धंधे के गहरे नेटवर्क की ओर इशारा किया है।
खून के लिए मजबूर परिजन और बिचौलियों की सक्रियता
मंटू यादव की मां गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं और उनका इलाज बोडो स्थित एक निजी अस्पताल में चल रहा है। डॉक्टरों ने तत्काल एबी नेगेटिव ब्लड चढ़ाने की सलाह दी। वे सीधे गिरिडीह सदर अस्पताल के ब्लड बैंक पहुंचे, लेकिन वहां स्टॉक खाली बताया गया। इस बीच एक बिचौलिए ने उनकी मजबूरी भांपते हुए संपर्क साधा और एक नंबर दिया। जब उस नंबर पर संपर्क किया गया तो स्पष्ट तौर पर 10 हजार रुपये की मांग की गई। जीवन बचाने के लिए मजबूर परिजनों ने रकम दी और ब्लड उपलब्ध कराया गया।
वर्षों से चल रहा है खून का गोरखधंधा
स्थानीय लोगों का कहना है कि गिरिडीह में यह पहला मामला नहीं है। लंबे समय से ब्लड बैंक के इर्द-गिर्द खून का अवैध कारोबार फल-फूल रहा है। मरीजों और उनके परिजनों की मजबूरी को अवसर मानकर माफिया किस्म के लोग इसमें मोटी कमाई कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन और बिचौलियों की मिलीभगत से यह खेल लगातार चल रहा है और गरीब परिवार सबसे अधिक शिकार बनते हैं।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया और जांच के आदेश
घटना की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। गिरिडीह के सिविल सर्जन ने इस मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए तुरंत जांच का आदेश दिया।
सिविल सर्जन ने कहा: “खून की कालाबाज़ारी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। पूरे मामले की जांच की जाएगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।”
जनता और सामाजिक संगठनों की नाराजगी
इस घटना से स्थानीय संगठनों और नागरिकों में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि खून जैसे संवेदनशील मामले में भ्रष्टाचार और अवैध धंधा शर्मनाक है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आवाज उठाई कि सरकार को ब्लड बैंक की निगरानी व्यवस्था सख्त करनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि ब्लड डोनेशन कैंप और जागरूकता कार्यक्रम बढ़ाकर इस गोरखधंधे को रोका जा सकता है।
स्वास्थ्य प्रणाली पर उठे सवाल
यह घटना न केवल गिरिडीह बल्कि पूरे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोरियों को सामने लाती है। अगर ब्लड बैंक में ब्लड की वास्तविक उपलब्धता का पारदर्शी रिकॉर्ड नहीं रखा जाएगा, तो मरीज इसी तरह बिचौलियों के शिकार होते रहेंगे। इसके अलावा अस्पताल प्रशासन की जवाबदेही तय करना भी बेहद जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।
न्यूज़ देखो: खून की कालाबाजारी पर लगाम जरूरी
गिरिडीह का यह मामला दिखाता है कि किस तरह स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों का फायदा उठाकर बिचौलिये मुनाफा कमा रहे हैं। मरीजों की मजबूरी पर खेला जा रहा यह धंधा न केवल मानवता के खिलाफ है बल्कि प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करता है। अब समय है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग जिम्मेदारी से काम करें और दोषियों को कठोर सजा दें।
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रक्तदान ही है असली समाधान
खून की कालाबाजारी को रोकने का सबसे बड़ा उपाय है कि लोग स्वेच्छा से रक्तदान करें और समाज में जागरूकता फैलाएं। अब वक्त है कि हम सभी आगे आएं और जीवन बचाने के इस अभियान का हिस्सा बनें। अपनी राय नीचे कमेंट करें, इस खबर को शेयर करें और अधिक से अधिक लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करें।