
#घाघरा #देशीबीजसंरक्षण : पुनर्जीवित खेती और देशी बीजों के महत्व पर महिला किसानों को दी गई प्रशिक्षण और जागरूकता
- घाघरा वूमेन फॉर्मर प्रोड्यूसर लिमिटेड के तत्वावधान में ब्लॉक स्तरीय कार्यशाला आयोजित।
- मुख्य अतिथि जिला उप विकास आयुक्त श्री दिलेश्वर महतो और विशिष्ट अतिथि घाघरा अंचल अधिकारी श्री सुशील खाका उपस्थित रहे।
- कार्यशाला में देशी बीजों के संरक्षण और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने वाली पुनर्जीवित खेती पर जोर।
- स्थानीय महिला किसानों ने गहन चर्चा और सीखने में सक्रिय भागीदारी दिखाई।
- वक्ताओं ने कहा कि देशी बीज सिर्फ कृषि का साधन नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं।
घाघरा में महिला किसानों को सशक्त बनाने और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से घाघरा वूमेन फॉर्मर प्रोड्यूसर लिमिटेड ने ब्लॉक स्तरीय पुनर्जीवित खेती और देशी बीज संरक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यक्रम देशी बीजों के महत्व और मिट्टी के स्वास्थ्य पर आधारित खेती की तकनीकों पर केंद्रित था। जिला उप विकास आयुक्त श्री दिलेश्वर महतो और अंचल अधिकारी श्री सुशील खाका ने उपस्थित होकर इस पहल की महत्ता को रेखांकित किया।
कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ और मुख्य संदेश
कार्यशाला का औपचारिक शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर किया गया। मुख्य अतिथि श्री महतो ने महिला किसान उत्पादक संगठन के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि पुनर्जीवित खेती मिट्टी की उर्वरता और जैव विविधता बनाए रखने की कुंजी है। अंचल अधिकारी श्री खाका ने देशी बीजों के संरक्षण में स्थानीय समुदाय की भूमिका को विशेष रूप से रेखांकित किया।
श्री दिलेश्वर महतो ने कहा: “पुनर्जीवित खेती और देशी बीजों का संरक्षण हमारे कृषि भविष्य और महिलाओं की सशक्तता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
कार्यक्रम में वक्ताओं ने सामूहिक रूप से किसानों से अपील की कि वे देशी बीजों को संरक्षित करें, उन्हें विनिमय करें और पारंपरिक कृषि तकनीकों को अपनाएँ। उन्होंने बताया कि ये बीज केवल कृषि का साधन नहीं हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत का हिस्सा हैं।
महिला किसानों की भागीदारी और चर्चा
कार्यशाला में क्षेत्र की महिला किसानों ने सक्रिय भागीदारी दिखाई। उन्होंने देशी बीजों के महत्व, उनकी संग्रहण विधियों और पारंपरिक खेती की तकनीकों पर गहन चर्चा की। किसानों ने यह भी साझा किया कि कैसे ये तकनीकें उनकी मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने और फसलों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। इस तरह की कार्यशालाओं ने किसानों को न केवल तकनीकी ज्ञान दिया, बल्कि समुदाय में टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने का संदेश भी फैलाया।
स्थानीय नेतृत्व और प्रशासन का समर्थन
कार्यक्रम में जिला प्रशासन और स्थानीय अंचल अधिकारियों की उपस्थिति ने इसे और प्रभावशाली बना दिया। उनके मार्गदर्शन और समर्थन से महिला किसानों को प्रोत्साहन मिला कि वे अपनी कृषि पद्धतियों में नवाचार और संरक्षण के तत्वों को शामिल करें। इस पहल ने यह संदेश दिया कि कृषि केवल फसल उगाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक विरासत, पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक सशक्तिकरण का हिस्सा है।



न्यूज़ देखो: महिला किसानों के नेतृत्व में देशी बीज संरक्षण की पहल
घाघरा में आयोजित यह कार्यशाला दर्शाती है कि स्थानीय महिला किसान और प्रशासन मिलकर कृषि की पारंपरिक और टिकाऊ तकनीकों को बढ़ावा दे सकते हैं। यह पहल मिट्टी की उर्वरता, जैव विविधता और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए अहम कदम साबित हो रही है।
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महिला सशक्तिकरण और टिकाऊ कृषि की दिशा में कदम बढ़ाएँ
स्थानीय समुदाय और किसान मिलकर यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारी सांस्कृतिक विरासत, देशी बीज, आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रहें। महिला किसानों की भागीदारी और जागरूकता से समाज में स्थायी कृषि और पर्यावरणीय संतुलन सुनिश्चित किया जा सकता है। इस संदेश को साझा करें, अपने क्षेत्र में जागरूकता फैलाएँ और कमेंट में अपने विचार व्यक्त करें ताकि टिकाऊ कृषि की ओर और अधिक लोग प्रेरित हों।





