
#गढ़वा #मासूममौत : मथुरा बांध में नहाने गया बच्चा नहीं लौटा — स्थानीय युवकों ने पानी से निकाला शव, अस्पताल में मचा कोहराम
- बुधन कुमार, उम्र 5 वर्ष, मथुरा बांध में डूबा।
- परिवार दीपक कुमार, फल विक्रेता, किराए के मकान में रहते हैं।
- स्थानीय युवकों ने शव बाहर निकाला, अस्पताल ले जाया गया।
- दौलत सोनी ने अस्पताल पहुंचकर पोस्टमार्टम में सहयोग किया।
- कोई बैरिकेडिंग, चेतावनी बोर्ड या निगरानी नहीं है बांध पर।
- ग्रामीणों ने सुरक्षा इंतजामों की मांग करते हुए जताया आक्रोश।
गढ़वा जिले के नगवा स्थित मथुरा बांध में गुरुवार तड़के एक मासूम की दर्दनाक मौत से पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। मृतक बुधन कुमार महज पांच साल का था और फल बेचकर परिवार चलाने वाले दीपक कुमार का इकलौता बेटा था। परिवार नगवा में किराये के छोटे से मकान में बेहद साधारण जीवन व्यतीत कर रहा था।
आज गुरुवार की सुबह रोज की तरह बुधन घर से निकला, लेकिन लौटकर नहीं आया। परिजनों ने आसपास के लोगों की मदद से तलाश शुरू की। कुछ ही देर में युवकों की नजर बांध के पानी में तैरते एक शव पर पड़ी। स्थानीय युवकों ने बिना देरी किए पानी में छलांग लगाकर बुधन के शव को बाहर निकाला।
परिवार वालों की हालत बदहवास थी। एम्बुलेंस के इंतजार की जगह ग्रामीणों ने मोटरसाइकिल से बुधन को लेकर तेज़ी से सदर अस्पताल कालसी पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। यह दृश्य हर किसी को रुला देने वाला था — एक गरीब पिता का इकलौता बेटा यूं असमय काल के गाल में समा गया।
हर जिम्मेदारी से चूकता प्रशासन, कब जागेगा सिस्टम?
घटना के तुरंत बाद सामाजिक कार्यकर्ता दौलत सोनी अस्पताल पहुंचे और पोस्टमार्टम प्रक्रिया में परिवार की मदद की। उन्होंने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि मथुरा बांध जैसे सार्वजनिक स्थलों पर सुरक्षा के कोई इंतजाम क्यों नहीं हैं? पानी के स्रोतों के आसपास बच्चों और ग्रामीणों की आवाजाही आम बात है, ऐसे में बैरिकेडिंग, चेतावनी बोर्ड और निगरानी की व्यवस्था न होना गंभीर लापरवाही है।
दौलत सोनी ने कहा: “यह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि प्रशासन की घातक अनदेखी है। अब और देर नहीं होनी चाहिए। भविष्य में ऐसे हादसों से बचाव के लिए हम सबको एकजुट होकर काम करना होगा।”


ग्रामीणों की चेतावनी : अब अगर नहीं चेता प्रशासन, होगा आंदोलन
स्थानीय लोगों का कहना है कि मथुरा बांध पर न कोई चेतावनी बोर्ड है, न ही कोई सुरक्षा कर्मी या निगरानी तंत्र। बच्चों के लिए यह इलाका बेहद खतरनाक बना हुआ है। ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन तत्काल मथुरा बांध सहित सभी जलस्रोतों पर पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था लागू करे। साथ ही, हादसों की रोकथाम के लिए स्थायी चौकी या गार्ड की नियुक्ति की जाए।
सभी की आंखें नम थीं, लेकिन मन में सवालों का सैलाब था — क्या यह हादसा रोका नहीं जा सकता था? क्या मासूम बुधन की जान सिर्फ इसलिए गई क्योंकि वह एक गरीब पिता का बेटा था?
न्यूज़ देखो: जलस्रोतों की लापरवाही पर एक मासूम की आह
बुधन की मौत ने एक बार फिर प्रशासन की उन कमजोरियों को उजागर कर दिया है, जो अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में जानलेवा साबित होती हैं। न चेतावनी बोर्ड, न बैरिकेडिंग, न कोई निगरानी — मथुरा बांध जैसे स्थल आज भी लापरवाही के साए में हैं। यह घटना एक बच्चे की मौत भर नहीं, बल्कि व्यवस्था की असफलता का कठोर प्रमाण है। न्यूज़ देखो सुरक्षा मानकों के व्यापक सुधार की मांग करता है।
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एकजुटता से बदलेगा समाज
बुधन अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसकी मासूम मुस्कान हमसे यह वादा मांगती है कि कोई और बच्चा ऐसी लापरवाही का शिकार न हो। हम सबको जागरूक, जिम्मेदार और सजग नागरिक बनकर सुरक्षा और सिस्टम सुधार की आवाज बुलंद करनी होगी।
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