
#पलामू #फोर्थग्रेडबहालीविवाद : 585 पदों पर चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की बहाली प्रक्रिया स्थगित — विज्ञापन जारी होते ही उठा विवाद, सरकार ने वित्त मंत्री के स्तर पर लिया निर्णय
- पलामू जिले में 585 पदों पर बहाली के लिए जारी विज्ञापन को सरकार ने किया रद्द
- वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने बहाली प्रक्रिया को स्थगित किए जाने की पुष्टि की
- 13 जून 2025 को जारी नोटिफिकेशन में विभिन्न विभागों में नियुक्ति होनी थी
- स्थानीयता और मैट्रिक मेरिट को लेकर विज्ञापन पर उठा था सवाल
- बर्खास्त 251 अनुसेवकों और युवाओं ने किया विरोध प्रदर्शन, मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन
चतुर्थवर्गीय बहाली पर सरकार ने लगाया विराम
पलामू जिले में 132 (समाहरणालय), 273 (शिक्षा विभाग), 151 (स्वास्थ्य विभाग), 3 (सहकारिता) और 26 (वन प्रमंडल) पदों के लिए जारी चतुर्थवर्गीय कर्मचारी बहाली का विज्ञापन स्थगित कर दिया गया है। सरकार ने यह फैसला वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर के स्तर पर लिया है, जिसकी आधिकारिक पुष्टि भी हो चुकी है।
बहाली प्रक्रिया को लेकर उठे सवाल और विवाद
13 जून 2025 को बहाली का विज्ञापन जारी होते ही विवाद शुरू हो गया था। इस प्रक्रिया में मैट्रिक के अंकों को मेरिट का आधार बनाए जाने और स्थानीयता की शर्तों को लेकर कई अभ्यर्थियों और संगठनों ने आपत्ति जताई थी। मामला धीरे-धीरे राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर तक पहुंच गया।
मुख्यमंत्री को सौंपा गया ज्ञापन, युवाओं ने किया प्रदर्शन
शुक्रवार को कैबिनेट बैठक के बाद कुछ अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ज्ञापन सौंपा और वित्त मंत्री को भी पूरे मामले की जानकारी दी। इस पर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि मामला उनके संज्ञान में है और वे इसकी गंभीरता से समीक्षा कर रहे हैं।
बर्खास्त अनुसेवकों की बहाली की मांग तेज
विज्ञापन जारी होने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बर्खास्त किए गए 251 अनुसेवक और युवक आंदोलन पर उतर आए। उन्होंने वित्त मंत्री से मुलाकात, समाहरणालय का घेराव, और चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा करते हुए अपनी बहाली की मांग को तेज कर दिया। इन अभ्यर्थियों का कहना है कि नई बहाली प्रक्रिया शुरू करने से पहले बर्खास्त कर्मियों को न्याय मिलना चाहिए।
न्यूज़ देखो: रोजगार से जुड़ी नीतियों में पारदर्शिता की ज़रूरत
पलामू जिले में चतुर्थवर्गीय बहाली से जुड़ा यह मामला स्थानीय प्रशासन की नीति, पारदर्शिता और सामाजिक संतुलन पर गंभीर सवाल खड़े करता है। सरकार द्वारा बहाली स्थगित करना एक अस्थायी राहत जरूर है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए संवाद, पारदर्शिता और न्यायसंगत नीति की आवश्यकता है।
न्यूज़ देखो ऐसे संवेदनशील मसलों पर जन-आवाज को सामने लाने और नीति निर्माताओं को ज़िम्मेदारी का एहसास दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
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रोजगार से जुड़े हर फैसले में हो जनहित प्राथमिक
सरकारी नियुक्तियों को लेकर यदि समय रहते स्पष्ट और निष्पक्ष नीति न बनाई जाए, तो यह बेरोजगार युवाओं में आक्रोश और अविश्वास को जन्म देता है। जन संवाद, नीति पारदर्शिता और निष्पक्ष मेरिट के साथ ही ऐसे विवादों से बचा जा सकता है।
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