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Breaking News: गढ़वा सदर अस्पताल में तोड़फोड़

गढ़वा सदर अस्पताल में चिकित्सकों की अनुपस्थिति से जुड़ी समस्या एक बार फिर उग्र हो गई। शुक्रवार रात प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला मरीज की हालत देखकर गुस्साए परिजनों ने प्रसव कक्ष और चिकित्सक कक्ष के शीशे व दरवाजे तोड़ दिए। परिजनों का आरोप था कि उनकी बार-बार गुहार के बावजूद कोई चिकित्सक मदद के लिए नहीं पहुंचा।

मरीज का हाल
सदर थाना क्षेत्र के साईं मोहल्ला निवासी सोनाहूल शाह की 22 वर्षीय पत्नी तैसिया परवीन शुक्रवार दोपहर से प्रसव पीड़ा से तड़प रही थीं। परिजनों ने बताया कि वे महिला को ओपीडी में दिखा चुके थे, लेकिन अस्पताल ने भर्ती नहीं किया। शाम होते-होते दर्द असहनीय हो गया, पर चिकित्सकों ने फोन तक नहीं उठाया। अंततः महिला को निजी क्लिनिक ले जाना पड़ा।

सुबह तक भी कोई अधिकारी नहीं पहुंचे
हंगामे के बाद भी सुबह 9 बजे तक अस्पताल के सिविल सर्जन, उपाधीक्षक या मैनेजर में से कोई भी स्थिति संभालने नहीं पहुंचा।

एसडीओ के निरीक्षण के बावजूद ढीली व्यवस्था
घटना से महज कुछ घंटे पहले ही एसडीओ संजय कुमार ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था। उन्होंने मरीजों को संतोषजनक सेवाएं देने का निर्देश दिया था, लेकिन उनके निर्देशों की अनदेखी करते हुए प्रसव कक्ष में चिकित्सक नदारद थे।

ड्यूटी शेड्यूल
अस्पताल में चिकित्सकों और कर्मचारियों की ड्यूटी तय थी:

  • सुबह 9 से दोपहर 3 बजे तक डॉ. अमिता, नर्स सलीना, खुशबू, और विजय।
  • इमरजेंसी में 3 से 9 बजे तक डॉ. पूनम, नर्स नीतू, सुषमा, विद्यानि।
  • रात 9 बजे से सुबह 9 बजे तक डॉ. रुत चंद, नर्स नयन कुमारी और प्रियंका।

हंगामे के समय, रात्रि ड्यूटी पर मौजूद स्टाफ ने डॉक्टरों से संपर्क की कोशिश की, लेकिन कोई भी जवाब नहीं मिला।

नर्सों के भरोसे प्रसव कक्ष
सदर अस्पताल में रात के समय प्रसव कक्ष में चिकित्सकों की अनुपस्थिति आम हो गई है। ऐसे में मरीजों का इलाज केवल नर्सों के भरोसे चलता है। अस्पताल में हर दिन 15-20 प्रसव होते हैं, लेकिन इमरजेंसी सेवाएं सुचारू नहीं हैं।

इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार ने कहा कि मामले की जानकारी मिली है। घटना के बाद सुबह जाकर हमने घटना क्रम जाना है। हमने अस्पताल के उपाधीक्षक को प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि ड्यूटी से गायब चिकित्सक के खिलाफ अपने उच्च अधिकारी को लिखा गया है। आगे की कार्यवाही की जा रही है।

इस घटना ने सदर अस्पताल की कुप्रबंधन और चिकित्सकीय लापरवाही को फिर उजागर कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग को अब इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने की जरूरत है।

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