
#चंदवा #पुल_समस्या : छह माह से ध्वस्त पुल की मरम्मत न होने से ग्रामीणों की स्कूली शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा और आवागमन पूरी तरह चरमराया
- लोहरसी–हेंजला मुख्य सड़क पर बना पुल छह महीने से ध्वस्त पड़ा।
- सात से आठ गांवों के हजारों लोग आवाजाही संकट से परेशान।
- बच्चों को कीचड़ भरे जोखिमपूर्ण रास्तों से होकर जाना पड़ता है।
- बीमार मरीज और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाना चुनौतीपूर्ण।
- किसी भी जनप्रतिनिधि या अधिकारी ने अब तक समस्या का संज्ञान नहीं लिया।
- ग्रामीणों की चेतावनी—जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन होगा।
चंदवा प्रखंड के लघुप पंचायत में छह माह से टूटा पड़ा पुल ग्रामीण जीवन को पूरी तरह प्रभावित कर रहा है। लोहरसी–हेंजला मुख्य सड़क पर बना यह पुल बारिश में बह गया था, लेकिन इसके बाद भी प्रशासन की तरफ से न मरम्मत की पहल की गई और न ही अस्थायी व्यवस्था बनाई गई। परिणामस्वरूप आसपास के सात से आठ गांवों के लोगों का आवागमन लगभग ठप हो गया है। बच्चों की शिक्षा, रोजमर्रा की जरूरतें और स्वास्थ्य सुविधा सबकुछ ठहर सा गया है।
पुल ध्वस्त, जीवन थमा: ग्रामीणों की बढ़ी परेशानी
ग्रामीणों ने बताया कि पुल टूटने के बाद उनका दैनिक जीवन बेहद कठिन हो गया है। स्कूल जाने वाले बच्चे कीचड़, पत्थरों और फिसलनभरे रास्तों से होकर किसी तरह स्कूल पहुंचते हैं। कई अभिभावकों ने चिंता जताते हुए कहा कि जोखिम इतना अधिक है कि रोज हादसे की आशंका बनी रहती है।
जरूरी सामान लाना भी चुनौती बन चुका है। बाजार तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को लंबा चक्कर काटना पड़ता है, जिससे समय और पैसे दोनों की बर्बादी हो रही है। बारिश में हालात और बदतर हो जाते हैं जब रास्ता दलदल में बदल जाता है।
स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर असर
बीमारों को अस्पताल ले जाना ग्रामीणों के सामने सबसे बड़ी समस्या बन गया है। कई मामलों में मरीजों को सड़क तक पहुंचाने के लिए चार-पांच लोग मिलकर कंधे पर उठाकर ले जाते हैं। गर्भवती महिलाओं की स्थिति तो और भी गंभीर है। प्रसव पीड़ा शुरू होने पर अस्पताल तक पहुंचाना समय के खिलाफ दौड़ जैसा हो जाता है। अंधेरे और बारिश में महिलाओं को उठाकर ले जाना ग्रामीणों के लिए मजबूरी बन चुका है।
एक ग्रामीण के अनुसार, “पुल टूटने से हमारी जिंदगी जैसे रुक गई है। अस्पताल पहुंचना किसी युद्ध से कम नहीं है।”
जनप्रतिनिधियों और प्रशासन पर आरोप
ग्रामीणों ने बताया कि समस्या की जानकारी कई बार पंचायत प्रतिनिधियों और जनप्रतिनिधियों को दी गई, लेकिन किसी ने भी मौके पर पहुंचना जरूरी नहीं समझा। न पंचायत के मुखिया आए, न वार्ड सदस्य, न ही जिला प्रशासन का कोई अधिकारी।
गांववालों का कहना है कि समस्या गंभीर है लेकिन संबंधित विभागों ने इसे लेकर अबतक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
ग्रामीणों का अल्टीमेटम
आक्रोशित ग्रामीणों ने साफ कहा है कि यदि शीघ्र ही पुल का पुनर्निर्माण शुरू नहीं हुआ तो वे सामूहिक रूप से आंदोलन करने को मजबूर होंगे। उनका कहना है कि यह पुल सिर्फ एक संरचना नहीं, बल्कि गांवों की जीवनरेखा है, जिसका टूट जाना पूरे क्षेत्र के विकास पर भारी असर डाल रहा है।
न्यूज़ देखो: ग्रामीण समस्या पर प्रशासन की चुप्पी चिंताजनक
लघुप पंचायत का पुल छह महीने से टूटा पड़ा है लेकिन जिम्मेदार विभागों की निष्क्रियता चिंताजनक है। ग्रामीण स्वास्थ्य, शिक्षा और आपूर्ति जैसी बुनियादी जरूरतें प्रभावित हैं, फिर भी अबतक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ऐसी समस्याएं सिर्फ एक गांव की नहीं बल्कि झारखंड के कई इलाकों की आम हकीकत हैं। समय रहते प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो स्थिति और बिगड़ सकती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
लोगों की आवाज़ को ताकत दें
ग्रामीणों की ये समस्याएं तभी खत्म होंगी जब हमारी आवाज़ ज़ोर से उठेगी। अपने इलाके की दिक्कतों को छुपाएँ नहीं—उन्हें सामने लाएँ। प्रशासन तक पहुंचाने में आपका सहयोग बेहद जरूरी है। इस मुद्दे पर आपका क्या कहना है? अपनी राय साझा करें और खबर को आगे फैलाएँ, ताकि समाधान की राह जल्द तैयार हो सके।





