
#देवघर #मत्स्य_विकास : पुनासी जलाशय में हुआ सात लाख मछलियों का संचयन – जिला प्रशासन ने मत्स्य उत्पादन को नई दिशा देने की पहल की
- डीसी नमन प्रियेश लकड़ा के निर्देश पर पुनासी जलाशय में हुआ बड़ा मत्स्य संचयन अभियान।
- उप विकास आयुक्त पीयूष सिन्हा की उपस्थिति में 7 लाख भारतीय मेजर कार्प और ग्रास कार्प मछलियों की अंगुलिकाओं का संचयन।
- अभियान तालाब एवं जलाशय मत्स्य विकास और जीर्णोद्धार योजना के अंतर्गत संचालित।
- इससे पहले सिकटिया स्थित अजय बराज जलाशय में भी 7 लाख अंगुलिकाओं का संचयन पूरा हुआ था।
- 1 नवम्बर को भी समान मात्रा में संचयन का कार्यक्रम तय किया गया।
- कार्यक्रम में जिला कृषि, पशुपालन, गव्य विकास और मत्स्य विभाग के पदाधिकारी समेत मत्स्य मित्र और उत्पादक उपस्थित रहे।
देवघर जिले में मत्स्य उत्पादन और ग्रामीण रोजगार को सशक्त करने की दिशा में जिला प्रशासन ने एक सराहनीय कदम उठाया है। डीसी नमन प्रियेश लकड़ा के निर्देशानुसार शुक्रवार को उप विकास आयुक्त पीयूष सिन्हा की उपस्थिति में पुनासी जलाशय में बड़े पैमाने पर मत्स्य संचयन अभियान शुरू हुआ। इस कार्यक्रम के तहत 7 लाख भारतीय मेजर कार्प और ग्रास कार्प मछलियों की अंगुलिकाओं का संचयन किया गया, जिससे जिले के जलाशयों में मत्स्य उत्पादन की नई संभावनाएं विकसित होंगी।
मत्स्य विकास की नई पहल
जिला प्रशासन द्वारा यह कार्यक्रम तालाब तथा जलाशय मत्स्य विकास एवं जीर्णोद्धार योजना के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य न केवल मछली उत्पादन बढ़ाना है बल्कि स्थानीय मत्स्य किसानों को आत्मनिर्भर बनाना भी है। मत्स्य विभाग ने बताया कि इस योजना से ग्रामीणों को दीर्घकालिक आय का स्रोत प्राप्त होगा और जिले की जल संपदाओं का बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया जा सकेगा।
उप विकास आयुक्त पीयूष सिन्हा ने कहा: “देवघर में मत्स्य पालन की अपार संभावनाएं हैं। यदि योजनाबद्ध तरीके से इसे आगे बढ़ाया जाए तो यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे सकता है।”
पहले चरण में 14 लाख मछलियों का संचयन
इससे पूर्व 29 और 30 अक्टूबर को सिकटिया स्थित अजय बराज जलाशय में 6 लाख मेजर कार्प और 1 लाख ग्रास कार्प सहित कुल 7 लाख अंगुलिकाओं का संचयन किया गया था। वहीं 31 अक्टूबर को पुनासी जलाशय में समान मात्रा में संचयन पूरा किया गया। अब आगामी 1 नवम्बर को पुनासी जलाशय में एक और चरण में 7 लाख मछलियों के संचयन का कार्यक्रम निर्धारित है, जिससे कुल संचयन की संख्या 21 लाख के पार पहुंच जाएगी।
जिला मत्स्य पदाधिकारी ने कहा: “यह अभियान न केवल मत्स्य उत्पादन बढ़ाने का माध्यम है, बल्कि यह जलाशयों में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाएगा।”
ग्रामीणों के लिए नए अवसर
इस मौके पर जिला कृषि पदाधिकारी, पशुपालन पदाधिकारी, गव्य विकास पदाधिकारी, मत्स्य प्रसार पदाधिकारी, केज मित्र, मत्स्य मित्र, केज लाभुक, मत्स्य बीज उत्पादक और मत्स्य कृषक उपस्थित थे। अधिकारियों ने बताया कि इस तरह के संचयन अभियानों से ग्रामीण स्तर पर मत्स्य पालन को रोजगार का रूप दिया जा सकेगा। मत्स्य पालन से जुड़े लोगों को आधुनिक तकनीक, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी ताकि उत्पादन में बढ़ोतरी हो सके।
जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा: “हमारा लक्ष्य है कि हर प्रखंड में मत्स्य विकास की गतिविधियां बढ़ें और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले। यह अभियान उसी दिशा में उठाया गया ठोस कदम है।”
जल संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ावा
अधिकारियों ने बताया कि इस अभियान का एक उद्देश्य यह भी है कि जिले के जलाशयों और तालाबों में जैव विविधता बनी रहे। नियमित मत्स्य संचयन से जलाशयों में जीवंतता बनी रहती है, जिससे जल संरक्षण के साथ-साथ पर्यावरणीय संतुलन भी कायम रहता है।
स्थानीय मत्स्य कृषकों ने प्रशासन की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे ग्रामीण इलाकों में रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। मत्स्य पालन की बेहतर व्यवस्था से न केवल स्थानीय लोगों की आमदनी बढ़ेगी बल्कि देवघर जिला राज्य के मत्स्य उत्पादन में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।

न्यूज़ देखो: देवघर में मत्स्य विकास का मॉडल बन रहा है पुनासी जलाशय
देवघर प्रशासन ने जिस तरह संगठित तरीके से मत्स्य विकास की योजना शुरू की है, वह अन्य जिलों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। योजनाबद्ध संचयन, विभागीय समन्वय और स्थानीय भागीदारी से यह पहल सफल होती दिख रही है। यदि यही रफ्तार बनी रही तो आने वाले वर्षों में देवघर राज्य के शीर्ष मत्स्य उत्पादन जिलों में शामिल होगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सतत विकास की राह पर देवघर
देवघर का यह अभियान केवल मत्स्य पालन तक सीमित नहीं, बल्कि यह सतत विकास और ग्रामीण सशक्तिकरण का प्रतीक है। अब समय है कि अन्य जिले भी इस पहल से प्रेरणा लेकर अपने जलाशयों के विकास की दिशा में कदम बढ़ाएं।
आइए हम सब मिलकर अपने जल संसाधनों की रक्षा करें, स्थानीय रोजगार को बढ़ावा दें और पर्यावरण के संरक्षण में अपना योगदान दें।
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