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रांची नगर निगम में खुलेआम बर्थ सर्टिफिकेट के नाम पर दलाली, 2500 में बन रहा प्रमाणपत्र!

#रांची #बर्थसर्टिफिकेटघोटाला : आम आदमी परेशान, दलाल बेखौफ – बिना दस्तावेज के घर बैठे मिल रहा जन्म प्रमाण पत्र

दलालों की खुली दुकान, सिस्टम पस्त

रांची। अगर आप रांची नगर निगम में बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने जा रहे हैं, तो ईमानदारी से आवेदन करने पर मुश्किलें तय हैं, लेकिन अगर आप किसी दलाल के पास जाएं तो सिर्फ 2500 रुपये में बिना दस्तावेज और बिना लाइन में लगे घर बैठे प्रमाणपत्र मिल सकता है

नगर निगम परिसर में खुलेआम घूम रहे दलाल खुद लोगों को यह विकल्प दे रहे हैं। केवल माता-पिता का आधार कार्ड देकर बिना किसी सत्यापन के सर्टिफिकेट मिलने की गारंटी दी जा रही है। यह सब कुछ इतने सहज रूप से हो रहा है कि आम जनता की आंखों में व्यवस्था के प्रति अविश्वास भर रहा है

ईमानदार लोग हो रहे परेशान

रांची नगर निगम में हर दिन 70–80 आवेदन जन्म प्रमाण पत्र के लिए आते हैं। इनमें से अधिकतर वे लोग होते हैं जो नियमों का पालन करते हुए आवेदन देना चाहते हैं, मगर उन्हें हर बार कोई न कोई दस्तावेज की कमी या प्रक्रिया की जटिलता बता कर टाल दिया जाता है।

इसके उलट, जो दलालों के जरिए आवेदन करते हैं, उन्हें बिना किसी परेशानी के कुछ ही दिनों में सर्टिफिकेट थमा दिया जाता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक प्रक्रिया में भारी अनियमितता और दलाली का बोलबाला है

प्रक्रिया क्या कहती है?

0–21 दिन के बच्चे के लिए:

31 दिन से 1 वर्ष तक:

एक वर्ष से अधिक उम्र:

पारदर्शिता पर सवाल

जब सिस्टम यह कहता है कि दस्तावेजों की जांच और एसडीओ या कार्यपालक दंडाधिकारी के आदेश के बाद ही सर्टिफिकेट जारी होगा, तो यह दलाल बिना जांच-पड़ताल के प्रमाण पत्र कैसे बनवा रहे हैं? इससे न केवल निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते हैं, बल्कि यह आशंका भी बढ़ती है कि फर्जी प्रमाणपत्र बनाकर कई सरकारी योजनाओं का गलत फायदा उठाया जा रहा है

न्यूज़ देखो: सवालों के घेरे में नगर निगम की कार्यशैली

रांची नगर निगम में जन्म प्रमाण पत्र की प्रक्रिया में जिस तरह दलालों की पकड़ और ईमानदार नागरिकों की बेबसी सामने आई है, वह प्रशासन की जवाबदेही और पारदर्शिता पर बड़ा प्रश्नचिह्न है। ‘न्यूज़ देखो’ हर उस खबर को सामने लाता है, जिसे दबाने की कोशिश होती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

बदलाव ज़रूरी है

अगर आम जनता को हक़ का प्रमाणपत्र पाने के लिए सिस्टम से लड़ना पड़े और दलालों को विशेष सुविधा मिले, तो यह लोकतंत्र और प्रशासन दोनों के लिए गंभीर खतरा है। ज़रूरत है कि ऐसी प्रक्रियाओं को डिजिटल, ट्रैक करने योग्य और दलाल-मुक्त बनाया जाए।

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