
#गढ़वा — CRPF की बड़ी सफलता
- 172 बटालियन सीआरपीएफ ने झौलडेरा, बुढ़ा पहाड़ क्षेत्र में चलाया विशेष सर्च अभियान
- सहायक कमांडेंट नीरज कुमार के नेतृत्व में दो दिवसीय ऑपरेशन किया गया
- 24 मार्च की सुबह 8:15 बजे तुमेरा गांव इलाके में संदिग्ध गतिविधि की सूचना
- करीब 2 किलोग्राम का आईईडी बरामद कर समय रहते किया गया निष्क्रिय
- कमांडेंट नृपेन्द्र कुमार सिंह की देखरेख में सुरक्षाबलों ने की त्वरित कार्रवाई
- अभियान से नक्सली साजिश विफल, क्षेत्र में सुरक्षा और विश्वास कायम
ऑपरेशन का नेतृत्व और तैयारी
गढ़वा : झौलडेरा स्थित 172 बटालियन सीआरपीएफ के जवानों ने बुढ़ा पहाड़ क्षेत्र में 24 मार्च 2025 को एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन को अंजाम दिया। यह विशेष अभियान सहायक कमांडेंट नीरज कुमार के नेतृत्व में, द्वितीय कमान अधिकारी कुलदीप कुमार के दिशा-निर्देश और कमांडेंट नृपेन्द्र कुमार सिंह के सम्पूर्ण पर्यवेक्षण में चलाया गया।
आईईडी बरामदगी की पूरी कार्रवाई
23 मार्च 2025 से शुरू हुए दो दिवसीय सर्च अभियान के दौरान 24 मार्च की सुबह 8:15 बजे तुमेरा गांव इलाके में तलाशी के दौरान जवान सिटी जीडी विकास नाथ और आईएनएसपी जीडी अजय कुमार को संदिग्ध गतिविधि का अंदेशा हुआ। तुरंत इलाके की घेराबंदी कर गहन जांच की गई, जिसमें करीब 2 किलोग्राम का आईईडी बरामद हुआ।
कमांडेंट नृपेन्द्र कुमार सिंह ने कहा, “जवानों की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई ने एक बड़े खतरे को टाल दिया। समय रहते बम को निष्क्रिय कर जान-माल के नुकसान से बचाव किया गया।“
नक्सली साजिश नाकाम
आईईडी मिलने की सूचना मिलते ही कमांडेंट को सूचित किया गया और निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत इलाके को सील कर सुरक्षा पुख्ता की गई। सुबह 10:05 बजे बम को सफलतापूर्वक निष्क्रिय कर दिया गया। यह आईईडी नक्सलियों द्वारा सुरक्षाबलों और ग्रामीणों को निशाना बनाने के लिए लगाया गया था।
जवानों की तत्परता से टली बड़ी दुर्घटना
सीआरपीएफ की इस कार्रवाई ने नक्सली मंसूबों पर पानी फेर दिया। यह अभियान न केवल एक बड़ी घटना को रोकने में सफल रहा, बल्कि क्षेत्र में सुरक्षा और विश्वास को और मजबूत कर गया।
‘न्यूज़ देखो’ — क्या आपको लगता है प्रशासन और सुरक्षा बल नक्सली क्षेत्रों में पूरी तरह सतर्क हैं?
गढ़वा के इस अभियान ने एक बार फिर साबित किया कि जवानों की सतर्कता ही हमारी सुरक्षा की सबसे बड़ी ढाल है।
‘न्यूज़ देखो’ आपसे जानना चाहता है — क्या आपके इलाके में भी ऐसे अभियान होते हैं? क्या नक्सली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है?
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