
#बरवाडीह #अनियमितता : वन और रेलवे जमीन पर बिना अनुमति रेल स्लीपर तोड़ने को लेकर उठे गंभीर सवाल
- बरवाडीह रेलवे स्टेशन के पास युद्धस्तर पर स्लीपर तोड़ाई।
- बाहरी राज्य की कंपनी द्वारा बिना अनुमति काम कराने का आरोप।
- ग्रामीणों और रैयतों की शिकायत पर मामला थाना पहुंचा।
- रेंजर अजय टोपो ने कहा, दोषियों पर होगी कड़ी कार्रवाई।
- रेलवे पीडब्लूआई ने माना, स्लीपर ले जाना था, तोड़ना नहीं।
बरवाडीह (लातेहार) के रेलवे स्टेशन के निकट पुराने रेल स्लीपर तोड़ने के कार्य में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। ग्रामीणों का आरोप है कि संवेदक कंपनी बिना अनुमति रेलवे और वन विभाग की भूमि पर स्लीपर तोड़वा रही है, जबकि नियमानुसार यह कार्य किसी रैयत की स्वीकृत जमीन पर होना चाहिए था।
ग्रामीणों का आरोप और शिकायत
स्थानीय समाजसेवी उदय प्रसाद ने इस मामले में बरवाडीह थाना में आवेदन देकर ठेकेदार और कंपनी पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि स्लीपर तोड़ाई के काम में सैकड़ों मजदूर लगे हैं, लेकिन इनमें से कोई भी लातेहार जिले का नहीं है। बाहरी मजदूरों को लाकर स्थानीय रोजगार अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है।
रेंजर अजय टोपो का कड़ा रुख
छिपादोहार पश्चिमी क्षेत्र के रेंजर अजय टोपो ने स्पष्ट किया कि –
“यदि वन भूमि पर अवैध तरीके से स्लीपर तोड़ाई का काम चल रहा है तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पूरी जांच कराकर जिम्मेदारों पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे कार्य न केवल सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक हैं बल्कि पर्यावरण पर भी नकारात्मक असर डालते हैं।
रेलवे का पक्ष
बरवाडीह रेलवे के पीडब्लूआई इंचार्ज अरुण कुमार ने बताया कि पुराने स्लीपर को केवल रेलवे भूमि से हटाकर दूसरी जगह ले जाने का प्रावधान था।
“रेल की जमीन पर तोड़ाई करना नियमों के खिलाफ है। यदि ठेकेदार ने ऐसा किया है तो जांच कर वरीय अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा।”
रैयतों की नाराजगी
स्थानीय रैयतों ने भी आरोप लगाया है कि उनकी निजी जमीन पर बिना सहमति के स्लीपर गिराकर तोड़ाई की जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि यह उनकी जमीन पर सीधा अतिक्रमण और अवैध गतिविधि है, जिसे वे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
न्यूज़ देखो: अनियमितताओं पर सख्त निगरानी जरूरी
वन और रेलवे की जमीन पर इस तरह की अनियमितताएं शासन-प्रशासन की गंभीर लापरवाही को उजागर करती हैं। अब देखना होगा कि जांच और कार्रवाई कितनी पारदर्शी और कठोर होती है।
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जनहित की जमीन पर हक जनता का
अब वक्त है कि स्थानीय लोग अपनी जागरूकता और एकजुटता से ऐसे अवैध कार्यों का विरोध करें। आप भी अपनी राय साझा करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि प्रशासन पर जवाबदेही तय हो सके।