
#कुरडेग #बैंकिंग_संकट : बैंक ऑफ इंडिया शाखा में लगातार कैश नहीं होने से पेंशनधारी बुज़ुर्ग विकलांग और गरीब परिवार सबसे ज्यादा प्रभावित
- कुरडेग प्रखंड स्थित बैंक ऑफ इंडिया शाखा में चार दिनों से नकदी की भारी कमी।
- बुज़ुर्ग, वृद्धा पेंशनधारी और विकलांग लाभुक सबसे अधिक परेशान।
- दूर-दराज़ गांवों से आए लोग घंटों बैंक के बाहर नकदी का इंतजार करते रहे।
- अल्पसंख्यक प्रखंड अध्यक्ष जीसान फ़िरदौस और पंचायत समिति सदस्य नीलिमा खाखा ने बैंक का निरीक्षण किया।
- कुरडेग और केरसई प्रखंड के लिए केवल यही एक बैंक शाखा होने से समस्या और गंभीर।
- जनप्रतिनिधियों ने तत्काल कैश उपलब्ध कराने और स्थायी समाधान की मांग की।
सिमडेगा जिले के कुरडेग प्रखंड में बैंकिंग व्यवस्था को लेकर गंभीर संकट सामने आया है। प्रखंड स्थित बैंक ऑफ इंडिया शाखा में पिछले चार दिनों से नकदी नहीं होने के कारण आम जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे अधिक दिक्कत वृद्धा पेंशनधारी, विकलांग, बुज़ुर्ग और गरीब परिवारों को हो रही है, जो अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए बैंक पर निर्भर हैं। दूर-दराज़ गांवों से आए लोग सुबह से शाम तक बैंक परिसर के बाहर बैठकर कैश आने का इंतजार करते रहे, लेकिन उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा।
जनप्रतिनिधियों ने पहुंचकर किया बैंक का निरीक्षण
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अल्पसंख्यक प्रखंड अध्यक्ष जीसान फ़िरदौस और खिंडा पंचायत समिति सदस्य नीलिमा खाखा स्वयं बैंक ऑफ इंडिया, कुरडेग शाखा पहुंचे। उन्होंने बैंक परिसर में मौजूद लोगों से बातचीत कर उनकी समस्याएं सुनीं और वास्तविक हालात का जायजा लिया।
निरीक्षण के दौरान सामने आया कि कुरडेग क्षेत्र में बैंकिंग सेवाओं पर निर्भर लोगों की संख्या काफी अधिक है, लेकिन इसके बावजूद बैंक में लगातार नकदी संकट बना हुआ है। इससे आम जनता में गहरा आक्रोश देखने को मिला।
एक ही बैंक पर दो प्रखंडों की निर्भरता
निरीक्षण के दौरान यह भी स्पष्ट हुआ कि कुरडेग और केरसई दोनों प्रखंडों के लिए बैंक ऑफ इंडिया की यही एकमात्र शाखा है। ऐसे में कैश की कमी का असर हजारों लोगों पर पड़ रहा है। मजदूर, पेंशनधारी और सरकारी योजनाओं के लाभुक समय पर पैसा नहीं निकाल पाने के कारण गंभीर संकट में हैं।
जनप्रतिनिधियों ने इसे प्रशासनिक लापरवाही बताते हुए कहा कि जब एक ही बैंक पर दो प्रखंडों का भार है, तो यहां नियमित और पर्याप्त नकदी की व्यवस्था अनिवार्य होनी चाहिए।
जनकल्याणकारी योजनाओं पर भी पड़ रहा असर
स्थानीय लोगों ने बताया कि सरकार जहां अबुआ आवास योजना, पेंशन और अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं को समय पर लागू करने की बात कर रही है, वहीं बैंक में पैसा नहीं होने से इन योजनाओं का लाभ समय पर नहीं मिल पा रहा है।
पेंशनधारी बुज़ुर्ग और विकलांग लोग बार-बार बैंक का चक्कर काटने को मजबूर हैं। कई महिलाएं और मजदूर रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी पैसे नहीं निकाल पा रहे हैं, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति और बिगड़ रही है।
बैंक प्रबंधन और अधिकारियों से की गई मांग
जनप्रतिनिधियों ने बैंक प्रबंधन और उच्च अधिकारियों से तत्काल पर्याप्त नकदी भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि बुज़ुर्गों, विकलांगों और महिलाओं को प्राथमिकता के आधार पर भुगतान किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें अनावश्यक परेशानी न हो।
साथ ही यह भी मांग उठाई गई कि भविष्य में इस तरह की स्थिति न बने, इसके लिए स्थायी और ठोस व्यवस्था की जाए। नियमित अंतराल पर कैश आपूर्ति सुनिश्चित हो, ताकि लोगों को बार-बार बैंक के बाहर इंतजार न करना पड़े।
बढ़ सकता है जन आक्रोश
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो जन आक्रोश और बढ़ सकता है। ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि बैंकिंग संकट से उनकी दैनिक जिंदगी प्रभावित हो रही है और वे अब और इंतजार नहीं कर सकते।
जनप्रतिनिधियों ने भी चेतावनी दी कि यदि जल्द कैश उपलब्ध नहीं कराया गया, तो वे इस मुद्दे को जिला स्तर तक उठाने को मजबूर होंगे।
न्यूज़ देखो: बैंकिंग व्यवस्था पर उठते सवाल
कुरडेग की यह स्थिति ग्रामीण इलाकों की बैंकिंग व्यवस्था की कमजोर तस्वीर पेश करती है। एक ओर डिजिटल और समावेशी बैंकिंग की बात होती है, वहीं दूसरी ओर नकदी की कमी से गरीब और जरूरतमंद वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। अब जरूरत है कि बैंक प्रबंधन और प्रशासन इस संकट को गंभीरता से ले और त्वरित समाधान करे। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जनता की परेशानी अब अनदेखी न हो
बैंकिंग सेवा आम आदमी की जीवनरेखा है। बुज़ुर्गों, पेंशनधारियों और गरीब परिवारों को लाइन में खड़ा कर परेशान करना किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है।
यदि आप भी इस समस्या से प्रभावित हैं, तो अपनी आवाज उठाएं। इस खबर को साझा करें, अपनी राय कमेंट में लिखें और जिम्मेदार अधिकारियों तक यह संदेश पहुंचाने में सहयोग करें।





