
#चतरा #अंधविश्वास #एम्बुलेंस : 78 साल आज़ादी के बाद भी गांवों में जानलेवा कुरीतियां — टंडवा की हेसातू में दर्दनाक हादसा
- वज्रपात की चपेट में आई 56 वर्षीय उगनी देवी की मौत।
- पोते के साथ बैठी थीं घर के बाहर, दोनों हुए घायल।
- महिला को गोबर में लपेटे रखा, इलाज के बजाय टूटे भ्रम में फंसे रहे परिजन।
- एम्बुलेंस एक घंटे देरी से पहुंची, तब तक हो चुकी थी महिला की मौत।
- थाना प्रभारी ने कहा, जल्द चलाया जाएगा जागरूकता अभियान।
अंधविश्वास के फेर में गंवानी पड़ी जान, गोबर में लपेटने से नहीं आई ‘जान’
झारखंड के चतरा जिले के टंडवा थाना क्षेत्र स्थित हेसातू गांव में वज्रपात के बाद अंधविश्वास के चलते एक महिला की मौत हो गई। 56 वर्षीय उगनी देवी, जो बिलेश्वर भुईयां की पत्नी थीं, अपने 8 माह के पोते के साथ घर के बाहर बैठी थीं, तभी आकाशीय बिजली गिर गई। अचानक हुए हादसे में दादी और पोता दोनों बुरी तरह घायल हो गए।
बच्चे को किसी तरह बाइक से निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उगनी देवी को परिजन और ग्रामीण गोबर में लपेट कर घंटों बैठाए रहे, यह मानते हुए कि उसका शरीर ठंडा रहेगा और जान लौट आएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
सरकारी सिस्टम की सुस्ती और सामाजिक अंधकार दोनों बने मौत के गुनहगार
गांव वालों की माने तो घटना के करीब डेढ़ घंटे बाद एम्बुलेंस गांव पहुंची, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। महिला को गोबर से बाहर निकाला गया तो वो मृत पाई गई। इस हादसे ने सिर्फ ग्रामीण अंधविश्वास ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सेवा की देरी और आपातकालीन सेवाओं की विफलता को भी उजागर कर दिया।
परिजन ने बताया: “हमने कई बार कॉल किया था, पर एम्बुलेंस बहुत देर से आई। अगर समय पर आती, तो शायद कुछ हो सकता था।”
मासूम की हालत स्थिर, गांव में मातम
वज्रपात में घायल 8 माह के मासूम का इलाज निजी अस्पताल में चल रहा है और फिलहाल उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। उधर गांव में मातम पसरा है और महिला की मौत के पीछे फैले अंधविश्वास को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं। परिजन रो-रोकर बेहाल हैं।
थाना प्रभारी उमेश राम ने कहा: “घटना बेहद दुखद है। हमने पुष्टि कर ली है। अंधविश्वास को लेकर हम जल्द गांव में जागरूकता अभियान चलाएंगे।”
न्यूज़ देखो: अंधविश्वास और अव्यवस्था की दोहरी मार ने छीनी एक और जान
हेसातू की यह घटना सिस्टम और समाज दोनों के असफल होने की कहानी है। जहां एक ओर स्वास्थ्य सेवाओं की ढिलाई है, वहीं दूसरी तरफ विज्ञान के युग में कुरीतियों का वर्चस्व है। यदि समय पर एम्बुलेंस पहुंचती और प्राथमिक उपचार मिलता, और अगर लोग तर्क और विज्ञान पर भरोसा करते, तो शायद उगनी देवी की जान बचाई जा सकती थी।
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बदलाव की शुरुआत गांव से होती है — जागरूक रहें, दूसरों को भी जगाएं
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