#रांची #संस्कृति : खरीदारी, मनोरंजन और लोककला का संगम बना राजधानी का सबसे बड़ा मेला
- मोरहाबादी मैदान में उत्सव मेले का भव्य आयोजन शुरू।
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया उद्घाटन, भारी भीड़ उमड़ी।
- मेले में साड़ी, चंदन, अचार, घरेलू सामान और लग्जरी कारें बनी आकर्षण।
- लोकनृत्य छऊ, संथाली, नागपुरी और बच्चों के लिए झूले-गेम्स ने बढ़ाई रौनक।
- 16 से 22 सितम्बर तक चलेगा मेला, रोजाना खास कार्यक्रम होंगे।
रांची, 16 सितम्बर: राजधानी रांची का मोरहाबादी मैदान इन दिनों उत्सव मेले की रौनक से गुलजार है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसका विधिवत उद्घाटन किया और इस दौरान मैदान में उमड़ी भारी भीड़ ने पूरे वातावरण को उत्साह और उत्सव की ऊर्जा से भर दिया।
खरीदारी और प्रदर्शनी का अनोखा संगम
मेले में लगे विभिन्न स्टॉल लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हैं। साड़ी, चंदन, जूते, मिक्सर, अचार और घरेलू सामान की बिक्री जोरों पर है। सबसे ज्यादा भीड़ “राम बंधु पिकल” के स्टॉल पर देखने को मिली, जहां लोग चटपटे स्वाद का आनंद लेते हुए खरीदारी कर रहे हैं।
प्रदर्शनी में लगी Audi और BMW जैसी लग्जरी कारें भी युवाओं और परिवारों के लिए सेल्फी प्वाइंट बन गई हैं। आगंतुक इन गाड़ियों के साथ तस्वीरें खिंचवाने के लिए कतार में नजर आए।
सांस्कृतिक रंगों से सजा आयोजन
उत्सव मेले की असली पहचान उसके सांस्कृतिक कार्यक्रम हैं। यहां झारखंड की लोकसंस्कृति पूरी शान से झलक रही है। छऊ, संथाली और नागपुरी नृत्य दर्शकों को खूब भा रहे हैं। वहीं बच्चों के लिए झूले, मैजिक शो और गेम्स ज़ोन बनाए गए हैं। युवाओं के बीच फैशन शो, डांस प्रतियोगिता और बैंड परफॉर्मेंस चर्चा का विषय बने हुए हैं।
कार्यक्रमों का विस्तृत शेड्यूल
आयोजन समिति ने 16 से 22 सितम्बर तक चलने वाले मेले का पूरा शेड्यूल जारी किया है—
- 16 सितम्बर – उद्घाटन समारोह और सांस्कृतिक संध्या।
- 17 सितम्बर – छऊ नृत्य और बच्चों का मैजिक शो।
- 18 सितम्बर – संथाली नृत्य और लोकगीत प्रतियोगिता।
- 19 सितम्बर – नागपुरी नृत्य और फैशन शो।
- 20 सितम्बर – काव्य संध्या और युवा संगीत कार्यक्रम।
- 21 सितम्बर – स्थानीय बैंड शो और आधुनिक संगीत कार्यक्रम।
- 22 सितम्बर – समापन समारोह और पुरस्कार वितरण।
स्थानीय व्यापारियों और कलाकारों को मंच
मेले का एक बड़ा उद्देश्य स्थानीय व्यापारियों, कारीगरों और कलाकारों को प्रोत्साहन देना है। आयोजकों का कहना है कि यह आयोजन न केवल मनोरंजन का अवसर है बल्कि झारखंड की लोकसंस्कृति और स्थानीय उत्पादों को भी नई पहचान दिला रहा है।

न्यूज़ देखो: परंपरा और आधुनिकता का संगम
मोरहाबादी का उत्सव मेला इस बात की मिसाल है कि कैसे खरीदारी, संस्कृति और मनोरंजन को एक ही मंच पर लाया जा सकता है। यह आयोजन स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देने के साथ-साथ झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर को भी मजबूती से स्थापित कर रहा है।
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उत्सव में शामिल हों और संस्कृति से जुड़ें
अब वक्त है कि हम सभी इस मेले को केवल मनोरंजन का साधन न मानें बल्कि इसे झारखंड की संस्कृति और स्थानीय उद्योग को बढ़ावा देने का अवसर समझें। अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस उत्सव का हिस्सा बनें। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि अधिक लोग इस सांस्कृतिक उत्सव का आनंद उठा सकें।