
#महुआडांड़ #करमा_पर्व : नगाड़े की थाप, गीत-संगीत और पारंपरिक व्यंजनों से महका गांव
- अंबवाटोली धूमकुड़िया भवन में पाहन के नेतृत्व में करम डाली गाड़ी गई।
- बहनों ने करम डाली पकड़ भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना की।
- पूरे क्षेत्र में नागपुरी गीत और मांदर की थाप पर नृत्य का आयोजन हुआ।
- घर-घर में स्वादिष्ट पकवान बने, पर्व ने लोगों को जोड़े रखा।
- वातावरण पूरी तरह पारंपरिक रंग में रंगा नजर आया।
महुआडांड़ के अंबवाटोली धूमकुड़िया भवन में बुधवार को करमा पर्व उत्साह और उल्लास के साथ मनाया गया। पाहन की अगुवाई में परंपरा अनुसार करम डाली को गाड़ा गया। बहनों ने डाली पकड़कर कहा – “आपन करम, भैया का धरम” और भाई की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना की।
नागपुरी गीत और मांदर की थाप में थिरका गांव
करमा पर्व के अवसर पर क्षेत्र में नागपुरी गीतों की गूंज और मांदर की थाप से माहौल पूरी तरह पारंपरिक रंग में रंग गया। युवा-युवतियां और ग्रामीण एकजुट होकर गीत-संगीत और नृत्य में शामिल हुए। उत्साह और सामूहिकता का यह नजारा पूरे इलाके में देखा गया।
घर-घर पका पर्व का स्वाद
करमा पूजा के दिन ग्रामीण घरों में विशेष व्यंजन तैयार किए गए। परिवारों ने मिल-बांटकर पकवानों का स्वाद लिया। पर्व के अवसर पर एकजुटता और आत्मीयता का भाव हर घर में झलकता रहा।
करमा पर्व का सामाजिक महत्व
आदिवासी संस्कृति में करमा पर्व भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विरासत को भी आगे बढ़ाता है।
न्यूज़ देखो: करमा पर्व से झलकती है सामाजिक एकजुटता
करमा पर्व आदिवासी समाज की धड़कन है, जो रिश्तों की मजबूती और सामूहिक उत्सव की भावना को जीवंत करता है। इस पर्व के माध्यम से लोग न सिर्फ परंपराओं को सहेजते हैं, बल्कि सामाजिक एकजुटता और सामूहिक शक्ति का भी प्रदर्शन करते हैं।
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परंपरा से जुड़े रहें, संस्कृति को आगे बढ़ाएं
अब समय है कि हम सब अपनी संस्कृति और परंपराओं को अगली पीढ़ी तक पहुंचाएं। करमा पर्व हमें यही संदेश देता है कि भाई-बहन का रिश्ता, पारिवारिक प्रेम और सामाजिक एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि अधिक से अधिक लोग प्रेरित हों।