#रांची #राजनीतिक_विवाद : आरक्षण पर संग्राम, भाजपा नेता बोले— कांग्रेस हमेशा से पिछड़ों की विरोधी
- आदित्य साहू ने कांग्रेस पर पिछड़ा वर्ग का विरोधी होने का आरोप लगाया।
- निकाय चुनाव में 27% आरक्षण देने की खुली चुनौती दी।
- मंडल कमीशन रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालने का आरोप कांग्रेस पर।
- पंचायत चुनाव बिना पिछड़ा वर्ग आरक्षण के कराए जाने पर सवाल।
- ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया पूरी न करने के लिए हेमंत सरकार पर भी निशाना।
राजधानी रांची में भाजपा प्रदेश महामंत्री और राज्यसभा सांसद आदित्य साहू ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला, आरोप लगाया कि पार्टी हमेशा से पिछड़ा वर्ग की विरोधी रही है। शनिवार को कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए साहू ने कहा कि कांग्रेस केवल पिछड़ा समाज का हितैषी होने का दिखावा करती है।
उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार, जिसमें कांग्रेस भी शामिल थी, ने पंचायत चुनाव बिना पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के कराए। ऐसे में कांग्रेस को अब निकाय चुनाव में 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा करके दिखाना चाहिए।
मंडल कमीशन और कांग्रेस की राजनीति
साहू ने कांग्रेस पर यह भी आरोप लगाया कि उसने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा नहीं दिया। इसके अलावा, मंडल कमीशन की रिपोर्ट को वर्षों तक ठंडे बस्ते में डालकर रखा, जिसे अंततः वीपी सिंह सरकार ने लागू किया।
आदित्य साहू ने कहा: “कांग्रेस एक परिवार को महिमा मंडित करने में जुटी रही। इसी वजह से अनेक विद्वान और जनाधार वाले पिछड़े नेताओं का बार-बार अपमान हुआ।”
ट्रिपल टेस्ट और आरक्षण का सवाल
भाजपा नेता ने राज्य सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि अब तक ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया पूरी नहीं हुई, जबकि यह आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने के लिए संवैधानिक आवश्यकता है। उन्होंने प्रदीप यादव को याद दिलाया कि बाबूलाल मरांडी के मंत्रिमंडल में पिछड़ों के आरक्षण को बढ़ाने का प्रयास हुआ था, लेकिन कोर्ट के निर्देशों के कारण लागू नहीं हो सका।
साहू ने दावा किया कि भाजपा पिछड़ों के विकास के लिए पूरी तरह समर्पित है, जबकि कांग्रेस केवल राजनीतिक लाभ के लिए दिखावा करती रही है।
न्यूज़ देखो: आरक्षण पर राजनीतिक जंग और जनता की उम्मीदें
यह विवाद साफ करता है कि पिछड़ा वर्ग का आरक्षण अब भी राजनीति के केंद्र में है। कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रही हैं, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या पिछड़े समाज को समय पर उसका हक मिलेगा? आरक्षण को लेकर पारदर्शी नीति और त्वरित कदम अब बेहद जरूरी हो गए हैं।
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अब समय है जागरूक राजनीति की मांग करने का
आरक्षण का मुद्दा केवल चुनावी नारा नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का सवाल है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि फैसले समय पर और न्यायपूर्ण हों। आप इस विवाद को कैसे देखते हैं? अपनी राय कॉमेंट करें और खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि ज्यादा लोग इस बहस में अपनी आवाज जोड़ सकें।