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चलो उमरा चलो 92 फाउंडेशन ने बच्चियों के बीच बांटी किताबें और पठन सामग्री, शिक्षा के क्षेत्र में मिसाल बन रहा लातेहार का यह संगठन

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#लातेहार #शिक्षा_सहयोग : डायरेक्टर मोहम्मद रिजवान राही बोले, शिक्षा ही समाज की असली ताकत।
  • चलो उमरा चलो 92 फाउंडेशन की ओर से लातेहार के इचाक पंचायत स्थित मदरसा कारवाने हयात एकेडमी में आयोजित हुआ कार्यक्रम।
  • बच्चियों के बीच निशुल्क किताबें और पठन सामग्री वितरित की गई।
  • फाउंडेशन के डायरेक्टर मोहम्मद रिजवान राही ने कहा – “शिक्षा समाज की दिशा और दशा बदल सकती है।”
  • कार्यक्रम में स्थानीय लोग, अभिभावक और शिक्षक भी शामिल हुए।
  • संस्था ने जरूरतमंद बच्चों के लिए शैक्षणिक सहायता जारी रखने का संकल्प लिया।

बरवाडीह (लातेहार): लातेहार जिले के इचाक पंचायत स्थित मदरसा कारवाने हयात एकेडमी में सोमवार, 27 अक्टूबर 2025 को ‘चलो उमरा चलो 92 फाउंडेशन’ की ओर से एक प्रेरणादायक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें बच्चियों के बीच निशुल्क किताबें और पठन सामग्री का वितरण किया गया। इस आयोजन ने न केवल शिक्षा के प्रति समाज में सकारात्मक सोच को बढ़ावा दिया, बल्कि जरूरतमंद बच्चों के चेहरों पर मुस्कान भी लाई।

कार्यक्रम का नेतृत्व फाउंडेशन के डायरेक्टर मोहम्मद रिजवान राही ने किया। उन्होंने बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि शिक्षा ही वह माध्यम है, जो किसी भी समाज को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाती है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि संस्था का उद्देश्य ऐसे बच्चों तक शिक्षा का अवसर पहुंचाना है जो आर्थिक तंगी या संसाधनों की कमी के कारण पीछे रह जाते हैं।

शिक्षा ही समाज की सबसे बड़ी पूंजी

मोहम्मद रिजवान राही ने कहा कि यदि हर बच्चा शिक्षित होगा तो समाज स्वतः प्रगति की राह पर आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि चलो उमरा चलो 92 फाउंडेशन का विजन यह है कि कोई भी बच्चा आर्थिक तंगी के कारण अपने सपनों को अधूरा न छोड़े। उन्होंने उपस्थित अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता दें, क्योंकि यही सच्ची विरासत है जो आने वाली पीढ़ियों को मजबूत बनाएगी।

मोहम्मद रिजवान राही ने कहा: “शिक्षा से ही इंसान की असली पहचान बनती है। हमारा प्रयास है कि हर बच्चा अपने अधिकारों के साथ ज्ञान का प्रकाश पाए।”

समाज की भागीदारी से मिल रहा उत्साह

कार्यक्रम में स्थानीय ग्रामीणों, शिक्षकों और समाजसेवियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। मदरसे के शिक्षकों ने कहा कि इस तरह के आयोजन ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के प्रति उत्साह जगाने में अहम भूमिका निभाते हैं। कई बच्चियों ने किताबें पाकर खुशी जाहिर की और आगे मेहनत से पढ़ाई करने का संकल्प लिया।

स्थानीय ग्रामीणों ने कहा कि चलो उमरा चलो 92 फाउंडेशन जैसी संस्थाएं समाज में जागरूकता फैलाने का काम कर रही हैं। यह सिर्फ किताब वितरण का कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है जो शिक्षा के महत्व को घर-घर पहुंचा रहा है।

मानवीय सेवाओं की मिसाल बना फाउंडेशन

पोखरी कला, बरवाडीह स्थित चलो उमरा चलो 92 फाउंडेशन लातेहार जिले की एक सामाजिक संस्था है, जो पिछले कई वर्षों से शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज सेवा के क्षेत्र में लगातार सक्रिय है। संस्था द्वारा हज-उमरा सहायता, गरीब लड़कियों की शादी में मदद, कैंसर मरीजों की सहायता, दुर्घटना के समय आपातकालीन एंबुलेंस सेवा, किताब वितरण, छात्रवृत्ति और सम्मान समारोह जैसे कार्य लगातार किए जा रहे हैं।

मोहम्मद रिजवान राही ने बताया कि इस तरह के छोटे-छोटे कदम ही समाज में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन आगे भी ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से जरूरतमंदों तक पहुंच बनाता रहेगा, ताकि कोई भी बच्चा ज्ञान की रोशनी से वंचित न रहे।

शिक्षा के प्रति बढ़ रही जागरूकता

मदरसे के शिक्षकों ने कहा कि इस पहल से समाज में शिक्षा के प्रति रुचि और उत्साह दोनों बढ़े हैं। जहां पहले संसाधनों की कमी के कारण कई बच्चे पढ़ाई छोड़ देते थे, वहीं अब इस तरह की सहायता उन्हें फिर से स्कूल लौटने की प्रेरणा देती है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसे आयोजनों से बच्चियों में आत्मविश्वास बढ़ता है और वे समाज में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होती हैं। इस मौके पर कई अभिभावकों ने फाउंडेशन के प्रति आभार जताया और कहा कि यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में नई उम्मीदें जगा रहा है।

न्यूज़ देखो: शिक्षा से ही बनेगा मजबूत समाज

चलो उमरा चलो 92 फाउंडेशन की यह पहल शिक्षा की दिशा में समाज के लिए एक प्रेरक उदाहरण है। इस कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि समाज के हर वर्ग की सहभागिता से ही सकारात्मक बदलाव संभव है। प्रशासन और आम लोगों को मिलकर इस तरह की पहलों को प्रोत्साहन देना चाहिए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

शिक्षा से उजले भविष्य की ओर

शिक्षा वह चाबी है, जो हर दरवाजा खोल सकती है – गरीबी का, अज्ञानता का और पिछड़ेपन का। अगर हर नागरिक यह जिम्मेदारी ले कि कोई भी बच्चा बिना पढ़े न रहे, तो समाज में अमूल्य परिवर्तन आ सकता है। चलो उमरा चलो 92 फाउंडेशन की यह कोशिश इस दिशा में एक मजबूत कदम है।
अब समय है कि हम सब इस बदलाव में योगदान दें। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को दोस्तों के साथ साझा करें और शिक्षा की इस मुहिम को आगे बढ़ाएं।

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Akram Ansari

बरवाडीह, लातेहार

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