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चंदवा के प्रवासी मजदूर अनिल उरांव की असम में ट्रेन हादसे में मौत, समाजसेवी और प्रशासनिक पहल से शव घर पहुंचा

#चंदवा #रेलवे_हादसा : डेम टोली निवासी अनिल उरांव की असम के करीमगंज स्टेशन के पास ट्रेन दुर्घटना में मौत, समाजसेवी और प्रशासनिक सक्रियता से शव पैतृक गांव लाया गया

अनिल उरांव का 28 वर्षीय जीवन एक सामान्य दिहाड़ी मजदूर के रूप में शुरू हुआ, लेकिन उनके परिवार और गांववालों के लिए उनकी मृत्यु एक गहरी संवेदनशीलता और असुरक्षा की याद बन गई। 20 सितंबर को मजदूरी के लिए असम जाते समय करीमगंज स्टेशन के पास अचानक गिरने से उनकी गंभीर चोटें आईं। साथी मजदूरों ने तत्काल परिजनों को फोन किया। परिजन और गांववालों में दहशत फैल गई।

सामाजिक और प्रशासनिक पहल

समाजसेवी रवि ठाकुर उर्फ पांडुरंगा ने परिजनों से संपर्क कर घटना की गंभीरता बताई और श्रम अधीक्षक, स्वास्थ्य विभाग के विधायक प्रतिनिधि विजय दुबे से समन्वय किया। दुबे ने तत्परता दिखाते हुए जिला प्रशासन, उपायुक्त लातेहार और प्रखंड विकास पदाधिकारी चंदवा को मामले की जानकारी दी। प्रशासन ने मृतक के शव को पैतृक गांव लाने के लिए त्वरित कार्रवाई की।

रवि पांडुरंगा ने कहा: “हमारी कोशिश है कि इस दुखद समय में परिवार को हर संभव सहारा मिले। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के सहयोग से हम सुनिश्चित करेंगे कि अनिल जी का अंतिम संस्कार सम्मानपूर्वक हो।”

विजय दुबे ने भी कहा कि:

“हमारे लिए प्राथमिकता परिवार को सहारा देना और शव को सुरक्षित घर लाना है। प्रशासनिक कार्रवाई में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।”

परिजनों और गांव का हाल

अनिल उरांव के निधन से उनकी पत्नी, माता-पिता और गांव के लोग गहरे शोक में हैं। पूरे गांव में मातम का माहौल है। परिजन रवि पांडुरंगा और विजय दुबे की सक्रियता और संवेदनशीलता से संतुष्ट हैं। तय कार्यक्रम के अनुसार शव शुक्रवार शाम तक पैतृक गांव पहुंचेगा, जिससे अंतिम संस्कार की रस्में पूरी की जा सकें।

हादसे से सीख और ग्रामीण मजदूरों की असुरक्षा

यह दुखद घटना न केवल मजदूरी के लिए दूर जाने वाले ग्रामीण परिवारों की कठिनाइयों और जोखिमों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सामाजिक और प्रशासनिक सहयोग परिवारों को संकट में सहारा दे सकता है। ग्रामीण मजदूरों के लिए रोजगार के दौरान सुरक्षा उपायों की कमी इस तरह के हादसों को बढ़ावा देती है।

न्यूज़ देखो: संवेदनशील प्रशासन और समाजसेवी पहल से मिलती है राहत

अनिल उरांव की असम में हुई मौत ने ग्रामीण मजदूरों की जोखिमपूर्ण परिस्थितियों को उजागर किया। वहीं, समाजसेवी और जनप्रतिनिधियों की सक्रियता ने यह साबित किया कि संवेदनशील और जिम्मेदार कार्रवाई से पीड़ित परिवारों को सहारा और सम्मान मिल सकता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

संवेदनशीलता और सामाजिक जिम्मेदारी का संदेश

यह घटना हमें याद दिलाती है कि ग्रामीण मजदूरों की सुरक्षा और कल्याण में सक्रिय पहल की आवश्यकता है। समाज के हर वर्ग को मिलकर ऐसे परिवारों का सहारा बनना चाहिए। आप भी इस खबर को साझा करें, जागरूकता फैलाएँ और जरूरतमंद परिवारों को सहारा देने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।

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