
#बरवाडीह #स्वास्थ्य : बिना सूचना कैंटीन उद्घाटन, प्रबंधन समिति और जनप्रतिनिधियों ने जताया विरोध
- बरवाडीह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कैंटीन का उद्घाटन गुपचुप तरीके से किया गया।
- प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मंटू कुमार ने फीता काटकर कैंटीन शुरू की।
- प्रबंधन समिति और जनप्रतिनिधियों को जानकारी तक नहीं दी गई।
- समिति प्रमुख सुशीला देवी और अन्य सदस्यों ने कड़े शब्दों में विरोध जताया।
- जिला परिषद की बैठक में शिकायत दर्ज कराने की चेतावनी दी गई।
बरवाडीह (लातेहार) के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बुधवार को मरीजों और उनके स्वजनों के लिए कैंटीन की शुरुआत तो हो गई, लेकिन इसका उद्घाटन जिस तरीके से किया गया, उसने विवाद खड़ा कर दिया है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मंटू कुमार ने बिना किसी सूचना और औपचारिक कार्यक्रम के फीता काटकर कैंटीन का उद्घाटन कर दिया।
जनप्रतिनिधियों में गहरी नाराजगी
कैंटीन की शुरुआत की जानकारी अस्पताल प्रबंधन समिति को तक नहीं दी गई। समिति प्रमुख सुशीला देवी, उपप्रमुख बीरेंद्र जयसवाल, पंचायत समिति सदस्य प्रवीण कुमार और जिप सदस्य संतोषी शेखर ने इस कदम का कड़ा विरोध जताया। उनका कहना है कि जिला परिषद की बैठक में इस मुद्दे को उठाकर शिकायत दर्ज कराई जाएगी।
सुविधा स्वागत योग्य, लेकिन प्रक्रिया पर सवाल
जनप्रतिनिधियों ने यह भी माना कि अस्पताल परिसर में कैंटीन खुलना मरीजों और उनके परिजनों के लिए राहत की बात है। अब तक उन्हें बाहर जाकर खाने-पीने की व्यवस्था करनी पड़ती थी, लेकिन अब यह सुविधा परिसर में ही मिलेगी। हालांकि, उनका आरोप है कि कैंटीन जैसे महत्वपूर्ण कार्य का उद्घाटन मनमाने तरीके से और तानाशाही रवैये में किया गया, जो लोकतांत्रिक परंपरा के खिलाफ है।
प्रबंधन समिति की भूमिका की अनदेखी
जिप सदस्य संतोषी शेखर ने कहा कि प्रबंधन समिति का गठन अस्पताल संचालन में पारदर्शिता और सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए किया गया है। ऐसे में समिति की अध्यक्ष और सदस्यों को उद्घाटन कार्यक्रम से दूर रखना गंभीर सवाल खड़े करता है। यह कदम अस्पताल प्रबंधन की कार्यशैली और जवाबदेही पर सवालिया निशान लगाता है।
न्यूज़ देखो: पारदर्शिता और भागीदारी ही लोकतंत्र की ताकत
अस्पताल कैंटीन से मरीजों और परिजनों को सुविधा जरूर मिलेगी, लेकिन जिस तरह से समिति और जनप्रतिनिधियों को दरकिनार कर उद्घाटन किया गया, उसने विवाद खड़ा कर दिया है। यह घटना बताती है कि सुविधाएं तभी सार्थक होंगी जब उनके संचालन में पारदर्शिता और सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित की जाए।
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जनप्रतिनिधियों को साथ लेकर ही हो विकास
बरवाडीह की यह घटना सबक देती है कि विकास और सुविधाओं का लाभ तभी सही मायने में जनता तक पहुंचेगा, जब निर्णय प्रक्रिया में जनप्रतिनिधियों और समितियों की भूमिका का सम्मान किया जाए। अब समय है कि हम सब जवाबदेही की मांग करें। अपनी राय कॉमेंट करें और खबर को साझा करें।