Garhwa

गढ़वा के सारंग बालू घाट से अंधाधुंध उठाव पर बवाल, ग्रामीणों ने पानी संकट और घाट के विनाश को लेकर जताई नाराज़गी

#बालूघोटाला #गढ़वा #जलसंकट #बिशुनपुरा — बालू उठाव से सूख गए कुएं-चापाकल, छठ और श्मशान घाट भी खतरे में

  • सारंग जतपुरा बालू घाट से रोज सैकड़ों ट्रैक्टर कर रहे हैं अवैध बालू उठाव
  • ग्रामीणों का आरोप — जलस्तर में गिरावट, पीने और सिंचाई के पानी की भारी किल्लत
  • छठ घाट, श्मशान घाट और पुल के पास गड्ढे बन गए, घाट का अस्तित्व संकट में
  • 2017 में बालू उठाव के विरोध पर 4 ग्रामीणों की हत्या का भी ज़िक्र
  • ग्रामीणों ने बालू घाट को तत्काल बंद करने की प्रशासन से की मांग

जलसंकट से त्रस्त सारंग पंचायत, ग्रामीणों में आक्रोश

गढ़वा जिला के बिशुनपुरा प्रखंड अंतर्गत सारंग जतपुरा बालू घाट से हो रहे तेज़ी से बालू उठाव ने पूरे क्षेत्र को जल संकट में धकेल दिया है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि रोजाना सैकड़ों ट्रैक्टर बालू ले जा रहे हैं, जिससे कुएं और चापाकल पूरी तरह सूख चुके हैं। अब स्थिति यह है कि पीने का पानी भी मिलना मुश्किल हो गया है, और खेती की सिंचाई भी ठप हो चुकी है।

2017 की घटना फिर याद दिला रही डर

ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 2017 में भी जब इसी घाट से अवैध रूप से बालू उठाया जा रहा था, तो विरोध करने पर 4 ग्रामीणों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अब एक बार फिर ठेकेदारों द्वारा अवैध खनन शुरू कर दिया गया है, जिससे नदी गहरी होकर नाले का रूप ले चुकी है। यह भी कहा गया कि जानवर नदी में पानी पीने जाएं तो गड्ढों में गिरने से उनकी जान भी जा सकती है।

घाटों का अस्तित्व मिटा, छठ और दाह संस्कार पर संकट

ग्रामीणों के अनुसार, बालू उठाव के कारण श्मशान घाट, छठ घाट और पुल के पास के घाटों की सतह बुरी तरह कट गई है, जिससे अब उन पर कोई भी धार्मिक या सामाजिक गतिविधि कर पाना मुश्किल हो गया है। उनका कहना है कि अब छठ पर्व या अंतिम संस्कार की क्रियाएं भी घाट पर नहीं हो पाएंगी।

उठाव की जांच और बालू के गंतव्य की मांग

ग्रामीणों ने प्रशासन से यह भी मांग की है कि सारंग में कितनी सरकारी योजना, आवास या पक्के मकान बन रहे हैं — इसकी ठोस जांच हो और यह भी पता लगाया जाए कि यह सारा बालू आखिर जा कहां रहा है। बालू उठाव से गांव का पारिस्थितिकी तंत्र गंभीर खतरे में आ गया है।

ज्ञापन सौंपकर की कार्रवाई की मांग

सुदामा राम, कालीचरण राम, अमरेश राम, गुरुदेव राम, सीता रामेश्वर राम, राधेश्याम राम, शंकर प्रजापति, श्याम नारायण यादव, राकेश कुमार यादव समेत सैकड़ों ग्रामीणों ने एकजुट होकर ज्ञापन सौंपा और बालू घाट को तत्काल बंद कराने की मांग की।

न्यूज़ देखो : पर्यावरण और जनजीवन पर असर डालते मुद्दों की आवाज़

न्यूज़ देखो ग्रामीण क्षेत्रों की उन समस्याओं को सामने लाता है जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। बालू माफियाओं के दबाव और प्रशासन की चुप्पी के बीच जल, जमीन और जनजीवन पर मंडराते खतरे को उजागर करना ही हमारा कर्तव्य है। अगर आज आवाज़ नहीं उठाई गई, तो कल पीने के लिए एक बूंद पानी भी मयस्सर नहीं होगा।

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