#गढ़वा #सदरअस्पताल #प्रसूता_मौत : गाइनी विभाग में चिकित्सकों की गैरहाजिरी और लापरवाही से हुई दर्दनाक मौत, शव को जिंदा बताकर रेफर करने की कोशिश ने भड़काया मामला
- गढ़वा सदर अस्पताल में प्रसव के बाद महिला की मौत से मचा हड़कंप
- गाइनी विभाग में नहीं था कोई भी डॉक्टर, नर्सों के भरोसे चला पूरा मामला
- मौत के तीन घंटे बाद तक परिजनों को उलझाकर, मृतका को रेफर करने की कोशिश
- परिजनों ने शव उठाने से किया इनकार, मांगी उपाधीक्षक से जवाबदेही
- समाजसेवी सोनू सिंह भी पहुंचे अस्पताल, उच्चस्तरीय जांच की उठी मांग
दर्दनाक लापरवाही से गई महिला की जान
गढ़वा। सदर अस्पताल के गाइनी विभाग में एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है, जब मेराल के पचफेड़ी गांव की 25 वर्षीय गीता देवी की मौत प्रसव के तुरंत बाद इलाज में घोर लापरवाही के कारण हो गई।
शनिवार को दोपहर 12 बजे गीता देवी को परिजन प्रसव के लिए सदर अस्पताल लाए, लेकिन गाइनी विभाग में न कोई डॉक्टर था, न प्रसव के लिए कोई व्यवस्था।
नर्सों ने महिला को भर्ती तो कर लिया, लेकिन प्रसव पश्चात हालत बिगड़ने पर उसे समय पर इलाज नहीं मिला।
मौत छिपाने का प्रयास, शव को बताया ‘जिंदा’
गीता देवी ने दोपहर 1:30 बजे जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। लेकिन प्रसव के कुछ ही समय बाद उसकी स्थिति गंभीर हो गई और 3:15 बजे तक वह जवाब दे गई।
परिजन अस्पताल में डॉक्टरों को ढूंढते रहे, लेकिन कोई भी चिकित्सक मौके पर नहीं था।
चौंकाने वाली बात यह रही कि करीब तीन घंटे तक परिजनों को दवा और रक्त के बहाने उलझाए रखा गया, और शाम 6:15 बजे गीता देवी को ‘जिंदा’ बताते हुए मेदिनीनगर रेफर करने की कोशिश की गई।
शव को छूने के बाद परिजनों को समझ आ गया कि महिला की मौत पहले ही हो चुकी थी।
भड़के परिजन, अस्पताल में घंटों किया प्रदर्शन
मौत की खबर सामने आने के बाद मृतका के परिजन भड़क गए और शव को उठाने से इनकार कर दिया।
परिजनों ने सदर अस्पताल की उपाधीक्षक डॉ. हरेनचंद्र महतो और महिला चिकित्सकों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया।
समाजसेवी सोनू सिंह भी मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवार को समर्थन देते हुए मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की।
परिजनों का आरोप: “गीता देवी की मौत 3:15 बजे हो चुकी थी, लेकिन 6 बजे तक उसे जिंदा बताकर रेफर कर दिया गया। डॉक्टरों ने कोई जिम्मेदारी नहीं ली, न कोई महिला चिकित्सक मौके पर थी।”
अस्पताल प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल
यह घटना गढ़वा सदर अस्पताल में महिला स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और जवाबदेही के अभाव को उजागर करती है।
डॉक्टरों की ड्यूटी से गैरहाजिरी, महिला चिकित्सकों की अनुपलब्धता और उपाधीक्षक का घटना से बचना, ये सब दर्शाते हैं कि अस्पताल में न तो व्यवस्था है और न ही संवेदना।
घटना की सूचना मिलते पहुंचे एसडीओ सदर अस्पताल
घटना के सूचना मिलने के बाद एसडीओ संजय कुमार ने सदर अस्पताल पहुंचकर मामले की जानकारी लिया। साथी उन्होंने मरीज के परिजनों को आश्वाशन दिया की। मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच कराया जाएगा दोषी पाए जाने पर उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
न्यूज़ देखो: जवाबदेही तय हो, लापरवाहों पर हो कार्रवाई
न्यूज़ देखो यह सवाल उठाता है कि जब सरकारी अस्पताल में आम जनता को समय पर इलाज और ईमानदार सेवा नहीं मिलती, तो फिर इसका अस्तित्व किसके लिए है?
एक मासूम महिला की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है?
क्या सदर अस्पताल की लापरवाही के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी?
हम प्रशासन से मांग करते हैं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
एक जान गई, पर सबक जरूरी है
गीता देवी की मौत सिर्फ एक त्रासदी नहीं — यह एक सिस्टम की विफलता है।
हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे मामलों में चुप न रहें, आवाज उठाएं, सवाल पूछें और जवाब मांगें।
यदि आप चाहते हैं कि भविष्य में कोई और परिवार ऐसी पीड़ा न झेले, तो इस खबर को साझा करें और अपनी प्रतिक्रिया दें।