पलामू: चौकीदार बहाली प्रक्रिया में दौड़ को रद्द कर पुनः शारीरिक दक्षता परीक्षा लिए जाने के फैसले के खिलाफ मंगलवार को बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने पलामू समाहरणालय परिसर में प्रदर्शन किया। अभ्यर्थियों ने प्रशासन के इस निर्णय को अनुचित बताते हुए मेरिट लिस्ट जारी करने और बहाली प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने की मांग की।
अभ्यर्थियों की नाराजगी
अभ्यर्थियों का कहना है कि 29 सितंबर को आयोजित शारीरिक दक्षता परीक्षा में पूरी पारदर्शिता बरती गई थी। इसके बावजूद दौड़ को रद्द कर 30 नवंबर को पुनः परीक्षा आयोजित करने का फैसला गलत है। कई अभ्यर्थियों ने कहा कि अब वे शारीरिक रूप से परीक्षा में भाग लेने की स्थिति में नहीं हैं। कुछ अभ्यर्थी पैर की समस्या से जूझ रहे हैं, जबकि गर्भवती महिलाओं के लिए दोबारा दौड़ में शामिल होना संभव नहीं है।
आंदोलन और प्रशासन पर सवाल
प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि बहाली प्रक्रिया को जानबूझकर अनावश्यक रूप से लंबित किया जा रहा है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि अगर प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है तो इसकी जांच कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए, लेकिन सफल अभ्यर्थियों को दोबारा दौड़ में शामिल होने के लिए बाध्य न किया जाए।
पृष्ठभूमि: चौकीदार बहाली में विवाद
पलामू जिले में चौकीदार के 155 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षण का मुद्दा उठने के बाद मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। 29 सितंबर को शारीरिक दक्षता परीक्षा आयोजित की गई थी, लेकिन 25 नवंबर को पलामू प्रशासन ने इस दौड़ को रद्द कर दिया।
जांच के बाद प्रशासन ने दोबारा परीक्षा की तिथि 30 नवंबर तय की। अभ्यर्थियों ने इस निर्णय को अनुचित बताते हुए समाहरणालय परिसर में प्रदर्शन तेज कर दिया है।
प्रशासन का पक्ष
पलामू के सदर एसडीएम की ओर से 1 अक्टूबर को जारी पत्र में बहाली प्रक्रिया में पारदर्शिता का दावा किया गया था। इसके बावजूद प्रशासन ने जांच के आधार पर दौड़ को रद्द करने का निर्णय लिया।
क्या कहते हैं अभ्यर्थी?
अभ्यर्थियों का कहना है कि प्रशासन का यह कदम उनके साथ अन्याय है। उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक उनके लिए सकारात्मक कदम नहीं उठाए जाते। उन्होंने प्रशासन से पुनः दौड़ रद्द करने और जल्द से जल्द बहाली प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की मांग की है।
स्थिति संवेदनशील
चौकीदार बहाली को लेकर पलामू में तनाव बढ़ता जा रहा है। प्रशासन को जल्द समाधान निकालना होगा, अन्यथा आंदोलन और अधिक व्यापक हो सकता है।