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चेन्नई हादसा : रोज़गार की तलाश में गया पांडू का युवक 100 फीट ऊँचाई से गिरा, मौत

#पलामू #चेन्नईहादसा : रोज़गार की तलाश में गए बिक्की पासवान की दर्दनाक मौत, परिवार पर टूटा दुख का पहाड़

पांडू प्रखंड अंतर्गत ग्राम फुलिया का युवा बिक्की पासवान (25 वर्ष) रोज़गार की तलाश में चेन्नई गया था। एक महीने पहले ही उसने एलएनटी कंपनी में कॉन्ट्रैक्टर के माध्यम से नौकरी ज्वाइन की थी। लेकिन 15 अगस्त की रात लगभग तीन बजे काम के दौरान वह 100 फीट ऊँचाई से गिर पड़ा और मौके पर ही उसकी मौत हो गई।

हादसे से उजड़ा परिवार

बिक्की पासवान की मौत ने उसके परिवार को तोड़कर रख दिया है। यह हादसा उस समय हुआ जब घर में खुशियों का माहौल था। पत्नी ने महज एक दिन पहले ही बेटी को जन्म दिया था। लेकिन बेटी की किलकारियों से गूँजता घर अगले ही दिन मातम में डूब गया।

गाँव में शोक की लहर

बिक्की की मौत की खबर गाँव पहुँचते ही पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों का कहना है कि एक युवा, जो रोज़गार की तलाश में घर से दूर गया था, उसकी असमय मौत से पूरा समाज दुखी है। लोगों ने इस घटना को बेहद दर्दनाक बताते हुए कंपनी प्रबंधन और प्रशासन से परिवार की मदद की अपील की है।

मुआवज़ा और नौकरी की मांग

ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से कहा कि परिवार के भरण-पोषण के लिए तत्काल मुआवज़ा दिया जाना चाहिए और आश्रित को नौकरी प्रदान की जानी चाहिए। यह सिर्फ एक परिवार का दर्द नहीं बल्कि प्रवासी मजदूरों की उस कठिनाई की तस्वीर है, जो रोज़गार की तलाश में हजारों किलोमीटर दूर जाकर जीवन जोखिम में डालते हैं।

मजदूरों की सुरक्षा पर सवाल

यह हादसा एक बड़ा सवाल भी खड़ा करता है कि आखिर मजदूरों की सुरक्षा को लेकर कंपनियाँ कितनी गंभीर हैं। ऊँचाई पर कार्य करने के दौरान सुरक्षा उपकरण और प्रोटोकॉल का पालन किया गया या नहीं, यह जाँच का विषय है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में कंपनियों की लापरवाही अक्सर मजदूरों की जान पर भारी पड़ती है।

समाज और सरकार की जिम्मेदारी

बिक्की की मौत से न केवल परिवार टूट गया है बल्कि उसकी नवजात बेटी का भविष्य भी असुरक्षित हो गया है। सरकार और कंपनी की यह जिम्मेदारी बनती है कि परिवार को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा दी जाए।

न्यूज़ देखो: रोज़गार की तलाश में प्रवासी मजदूरों की असुरक्षा का बड़ा प्रश्न

यह घटना उस कठोर सच्चाई को सामने लाती है कि रोज़गार की तलाश में प्रवासी मजदूर किस तरह जोखिम उठाते हैं। बिना पक्की गारंटी और सुरक्षा व्यवस्था के काम करना उनकी मजबूरी बन जाती है। ऐसे हादसे बार-बार समाज और शासन को चेतावनी देते हैं कि श्रमिकों की सुरक्षा, जीवन बीमा और आश्रितों की देखभाल सुनिश्चित करना आवश्यक है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब बदलाव की जिम्मेदारी हमारी

इस घटना ने दिखा दिया है कि सुरक्षित रोजगार और मजदूरों की हिफाजत कितनी जरूरी है। अब समय है कि हम सब समाज और सरकार से ऐसी व्यवस्थाओं की माँग करें, जिससे मजदूरों की जिंदगी सुरक्षित हो। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि अधिक लोग जागरूक हो सकें।

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