
#छतरपुर #जमीन_विवाद : एक ही प्लॉट की दोबारा रजिस्ट्री से भावनाएँ भड़कीं—स्थानीय भू–मालिकों ने कार्रवाई की मांग उठाई
- छतरपुर मौजा के खाता संख्या 2, प्लॉट 253 पर दोबारा रजिस्ट्री से विवाद बढ़ा।
- लगभग 24 परिवार पिछले दस वर्षों से जमीन पर रह रहे हैं।
- नवंबर 2025 में जमीन की पुनः रजिस्ट्री स्नेहप्रभा देवी द्वारा कराए जाने का आरोप।
- प्रभावित भू–मालिकों ने अंचल कार्यालय में सामूहिक आपत्ति दर्ज कराई।
- ग्रामीणों ने जमीन न छोड़ने की चेतावनी देते हुए कहा—“जान भी जाए पर घर नहीं छोड़ेंगे।”
छतरपुर प्रखंड क्षेत्र में वर्षों से शांत चल रहे भूमि स्वामित्व मामले ने अचानक गंभीर रूप ले लिया है। खाता संख्या 2, प्लॉट संख्या 253 की जमीन की दूसरी बार रजिस्ट्री होने से लगभग 24 परिवारों में चिंता और आक्रोश दोनों दिखाई दे रहा है। ग्रामीणों के अनुसार वे पिछले दस वर्षों से इस जमीन पर घर बनाकर रह रहे हैं। नवंबर 2025 में इसी भूमि की पुनः रजिस्ट्री किए जाने से स्थानीय लोगों को आशंका है कि उनका बसेरा छीना जा सकता है। मामले के उजागर होते ही भू–मालिकों ने अंचल कार्यालय पहुंचकर सामूहिक आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है। प्रशासन ने इस विवादित जमीन को अब आधिकारिक रूप से जांच के दायरे में ले लिया है।
विवाद कैसे शुरू हुआ
ग्रामीणों का कहना है कि लगभग दस वर्ष पूर्व राजमाता स्व. बाबी श्याम सुंदरी देवी से मिले भूदान के आधार पर इस जमीन का केवाला स्थानीय लोगों के नाम कर दिया गया था। इसके बाद करीब 24 परिवारों ने स्थायी रूप से अपने घर बनाकर निवास शुरू कर दिया। सबकुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन हाल में प्लॉट संख्या 253 की 1 एकड़ 47 डिसमिल जमीन की पुनः रजिस्ट्री स्नेहप्रभा देवी (पति राघवेंद्र प्रताप सिंह) द्वारा पूर्व नगर उपाध्यक्ष सुभाष मिश्रा और अरुण कुमार सोनी के नाम कर दी गई।
मामला कैसे खुला
जब नए खरीदारों ने जमीन का नामांतरण (दाखिल-खारिज) कराने के लिए अंचल कार्यालय में आवेदन दिया, तब वर्तमान भू–मालिकों को रजिस्ट्री की जानकारी मिली। इसके तुरंत बाद सभी प्रभावित लोगों ने विरोध दर्ज कराया और अंचल अधिकारी को सामूहिक आवेदन सौंपा।
आपत्ति दर्ज कराने वालों के नाम
विजय यादव, उदय यादव, कृष्ण मुरारी यादव, मुरारी यादव, कृष्णा यादव, धनेश्वर यादव, मुनि देवी, अमृत यादव, अनिल यादव समेत अन्य स्थानीय निवासी शिकायतकर्ताओं में शामिल हैं।
ग्रामीणों के गंभीर आरोप
ग्रामीणों ने रजिस्ट्री को पूरी तरह फर्जी बताया है। आरोप लगाया गया कि विक्रेता स्नेहप्रभा देवी ने खुद को स्व. बाबी श्याम सुंदरी देवी की इकलौती पुत्री बताया है, जबकि ग्रामीणों का कहना है कि उनकी छह संतानें थीं।
ग्रामीणों का सीधा बयान
विजय यादव ने कहा: “यह रजिस्ट्री झूठ और धोखाधड़ी पर आधारित है। हम दस साल से यहां रह रहे हैं, हमारी जमीन कोई नहीं छीन सकता।”
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि वे किसी भी स्थिति में अपने मकान नहीं छोड़ेंगे और “आर–पार की लड़ाई” लड़ने को तैयार हैं।
प्रशासन की प्रारंभिक कार्रवाई
अंचल कार्यालय ने इस पूरे मामले को अब विवादित भूमि श्रेणी में दर्ज कर दिया है। भूमि से संबंधित दस्तावेज, पूर्व रजिस्ट्री, भूदान की जानकारी और वर्तमान दावे की जांच प्रक्रिया शुरू की गई है।
अधिकारी का बयान
अंचल अधिकारी ने कहा: “मामला संवेदनशील है। सभी दस्तावेजों की जांच कर कानूनी आधार पर निर्णय लिया जाएगा।”
ग्रामीणों में बढ़ती बेचैनी
स्थानीय लोगों का कहना है कि वे वर्षों से शांतिपूर्ण जीवन जी रहे थे, लेकिन अचानक रजिस्ट्री होने से उनके सिर पर विस्थापन का खतरा मंडरा रहा है। लोगों ने प्रशासन से सख्ती और पारदर्शिता के साथ कार्रवाई की मांग की है।
न्यूज़ देखो: छतरपुर की जमीन नीति में पारदर्शिता की बड़ी परीक्षा
यह मामला बताता है कि दस्तावेजी अनियमितता और जमीन की दोहरी रजिस्ट्री जैसे मुद्दे ग्रामीणों के लिए कितना बड़ा संकट पैदा कर सकते हैं। प्रशासन की त्वरित और निष्पक्ष जांच से ही लोगों का भरोसा बहाल होगा। भूमि विवादों में पारदर्शिता और सख्त निगरानी आज की सबसे बड़ी जरूरत बन गई है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
न्याय की लड़ाई में जागरूकता सबसे बड़ा हथियार
ग्रामीणों ने अपनी जमीन बचाने के लिए एकजुट होकर जो आवाज उठाई है, वह नागरिक अधिकारों की मजबूती का संकेत है। समाज में हर व्यक्ति को अपनी संपत्ति, जीवन और सम्मान की सुरक्षा का अधिकार है। ऐसे मामलों में सक्रिय रहकर ही अन्याय को रोका जा सकता है। अपनी राय कमेंट में लिखें, इस खबर को शेयर करें और गांव–कस्बों में जमीन विवादों के प्रति जागरूकता फैलाएं।





