
#रांची #राजनीति : शिबू सोरेन के श्राद्ध कर्म के बाद संवेदना जताएंगे रामदास सोरेन परिवार से
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नेमरा गांव में पिता शिबू सोरेन का श्राद्ध कर्म पूरा किया।
- रविवार को दामोदर नदी में अस्थि विसर्जन किया गया।
- आज रांची लौटेंगे सीएम हेमंत सोरेन।
- घाटशिला जाकर स्व. रामदास सोरेन के परिजनों से मिलेंगे।
- शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का 15 अगस्त को निधन, जमशेदपुर में राजकीय सम्मान से हुआ अंतिम संस्कार।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पिता और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संरक्षक शिबू सोरेन के श्राद्ध कर्म में पैतृक गांव नेमरा में व्यस्त थे। पारिवारिक और धार्मिक परंपरा निभाते हुए उन्होंने रविवार को शिबू सोरेन की अस्थियों का विसर्जन दामोदर नदी में किया। अब वे रांची लौटने वाले हैं, जहां से उनका कार्यक्रम घाटशिला का भी तय है।
शिबू सोरेन की स्मृतियों में डूबा नेमरा गांव
नेमरा गांव में बीते कई दिनों से श्राद्ध कर्म का कार्यक्रम चल रहा था। मुख्यमंत्री ने परंपरागत विधि-विधान के तहत सभी रस्में पूरी कीं। रविवार को अस्थि विसर्जन के समय पूरा परिवार, रिश्तेदार और समर्थक भावुक हो उठे। लोगों ने शिबू सोरेन के योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन को श्रद्धांजलि
रांची लौटने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन घाटशिला जाएंगे, जहां वे हाल ही में दिवंगत हुए राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के परिजनों से मिलेंगे। 15 अगस्त को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रामदास सोरेन का निधन हुआ था। उनका अंतिम संस्कार जमशेदपुर के घोड़ाबांधा श्मशान घाट में राजकीय सम्मान के साथ किया गया। राज्य की राजनीति और शिक्षा जगत के लिए उनका निधन एक बड़ी क्षति माना जा रहा है।
भावनात्मक मुलाकात की उम्मीद
मुख्यमंत्री का यह दौरा केवल औपचारिक संवेदना तक सीमित नहीं रहेगा। राजनीतिक और निजी दोनों रूपों में उनका रामदास सोरेन के परिवार से गहरा जुड़ाव रहा है। घाटशिला में होने वाली मुलाकात भावुक पलों की गवाह बनेगी, जहां मुख्यमंत्री परिजनों को ढाढ़स बंधाएंगे और राज्य सरकार की ओर से सहयोग का आश्वासन देंगे।
न्यूज़ देखो: संवेदना और जिम्मेदारी का संदेश
झारखंड की राजनीति इन दिनों लगातार शोकाकुल माहौल से गुजर रही है। एक ओर शिबू सोरेन के निधन से राजनीतिक विरासत पर गहरा असर पड़ा है, वहीं दूसरी ओर रामदास सोरेन की असमय मृत्यु ने सरकार और संगठन दोनों को झकझोर दिया है। ऐसे समय में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का परिवार और संगठन के प्रति यह दायित्व निभाना संवेदनशील नेतृत्व का उदाहरण है।
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शोक में भी निभाएं सामाजिक जिम्मेदारी
हम सबको यह समझना होगा कि जीवन अनिश्चित है, लेकिन समाज और परिवार के प्रति हमारी जिम्मेदारी हमेशा बनी रहती है। शोक की घड़ी में एक-दूसरे का सहारा बनना ही असली मानवता है। आप भी अपनी संवेदना और विचार कॉमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि संदेश अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे।