
#सिमडेगा #शैक्षणिक_उत्सव : विद्यार्थियों ने संविधान दिवस पर एकजुट होकर भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और अधिकारों का महत्व समझा
- सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, सरडेगा में बुधवार को संविधान दिवस का आयोजन किया गया।
- कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता, ओउम और सरस्वती माता की वंदना से हुई।
- विद्यार्थियों ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक वाचन किया और जोश व गर्व का प्रदर्शन किया।
- प्रधानाचार्य जितेंद्र कुमार पाठक, शिक्षक और बच्चों ने संविधान और उसके ऐतिहासिक महत्व पर चर्चा की।
- कार्यक्रम में बच्चों को मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों, संविधान निर्माण प्रक्रिया और संविधान सभा से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य समझाए गए।
- समारोह का समापन भारत माता की जय और वंदे मातरम के उद्घोष के साथ हुआ और प्रधानाचार्य ने संविधान के आदर्शों को जीवन में अपनाने का आह्वान किया।
सरस्वती शिशु विद्या मंदिर सरडेगा में बुधवार को संविधान दिवस उत्साहपूर्ण माहौल में मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता, ओउम और सरस्वती माता की वंदना से हुई। प्रधानाचार्य जितेंद्र कुमार पाठक, शिक्षक और विद्यार्थियों ने भारतीय संविधान के प्रति सम्मान व्यक्त किया। छात्रों ने सामूहिक रूप से संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया, जिसमें उनके जोश और गर्व का विशेष रूप से अनुभव किया गया। कार्यक्रम में बच्चों को संविधान निर्माण की प्रक्रिया, मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों से अवगत कराया गया और संविधान सभा के महत्वपूर्ण सदस्यों और उनके योगदान को याद किया गया। इस प्रकार बच्चों ने भारतीय लोकतांत्रिक मूल्य और नागरिक जिम्मेदारियों की समझ प्राप्त की। कार्यक्रम का समापन भारत माता की जय और वंदे मातरम के उद्घोष के साथ हुआ और प्रधानाचार्य ने सभी को संविधान के आदर्शों को जीवन में उतारने का आग्रह किया।
बच्चों में संविधान के महत्व को लेकर जागरूकता
सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के इस कार्यक्रम ने बच्चों में संविधान के महत्व को समझने और उसका सम्मान करने की भावना पैदा की। प्रधानाचार्य जितेंद्र कुमार पाठक ने बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम बच्चों को लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सजग बनाते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को केवल पाठ्यपुस्तकों में नहीं बल्कि वास्तविक जीवन में संविधान के आदर्शों को अपनाना चाहिए।
जितेंद्र कुमार पाठक ने कहा: “हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे संविधान के मूल्यों और अपने अधिकारों को समझें और उन्हें जीवन में लागू करें।”
कार्यक्रम के दौरान शिक्षक और आचार्य-आचार्य बच्चों के साथ सक्रिय रूप से शामिल हुए और उन्हें संविधान निर्माण की प्रक्रिया और उसमें शामिल विभिन्न चरणों की जानकारी दी। बच्चों ने संविधान सभा से जुड़े प्रमुख तथ्यों को याद किया और नागरिक होने के नाते अपनी जिम्मेदारियों पर चर्चा की।
आयोजन में सामूहिक सहभागिता और उत्साह
विद्यार्थियों ने सामूहिक रूप से संविधान की प्रस्तावना का वाचन कर इस कार्यक्रम को विशेष रूप से सफल बनाया। छात्रों में दिखा जोश और गर्व यह दर्शाता है कि भविष्य की पीढ़ी अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझने के लिए जागरूक है। कार्यक्रम के समापन पर प्रधानाचार्य ने सभी को संविधान के आदर्शों को अपनाने का आग्रह किया और यह संदेश दिया कि संविधान केवल दस्तावेज नहीं, बल्कि हमारे जीवन का मार्गदर्शक है।



न्यूज़ देखो: शिक्षा और जागरूकता का संगम
यह कार्यक्रम यह दिखाता है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है बल्कि बच्चों में सामाजिक और नागरिक जागरूकता पैदा करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के इस प्रयास से बच्चों में संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समझ और सम्मान बढ़ा। शिक्षकों और प्रधानाचार्य की सक्रिय भागीदारी से यह कार्यक्रम सफल रहा।
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सजग युवा, सशक्त भविष्य
संविधान दिवस के आयोजन से यह संदेश जाता है कि हर नागरिक को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक होना चाहिए। बच्चों में लोकतांत्रिक मूल्यों की समझ और सम्मान विकसित करना आवश्यक है ताकि वे अपने समाज और देश के लिए जिम्मेदार नागरिक बन सकें। अपने बच्चों को इस प्रकार के कार्यक्रमों में शामिल कर शिक्षा के साथ नागरिक जागरूकता भी बढ़ाएँ। अपनी राय साझा करें, इस खबर को दोस्तों के साथ साझा करें और संविधान के आदर्शों को जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करें।





