Simdega

शिक्षक दिवस पर बच्चों ने निभाई गुरु की भूमिका, मिला बाल शिक्षक सम्मान

Join News देखो WhatsApp Channel
#सिमडेगा #शिक्षकदिवस : विद्यार्थियों ने थामा अध्यापन का दायित्व, बढ़ा आत्मविश्वास
  • कोलेबिरा स्थित राजकृत उत्क्रमित उर्दू मध्य विद्यालय में हुआ अनोखा आयोजन।
  • कक्षा 5 से 8 तक के विद्यार्थियों ने निभाई शिक्षक की भूमिका।
  • प्रतियोगिता में अव्वल आने वाले बच्चों को मिला बाल शिक्षक सम्मान प्रशस्ति पत्र
  • पीरामल फाउंडेशन की पहल, गाँधी फेलो रवीना मालवीय के नेतृत्व में आयोजित कार्यक्रम।
  • विद्यालय के प्रधानाध्यापक मिनहाज आलम और शिक्षकों ने दी पूरी सराहना।

सिमडेगा, कोलेबिरा। शिक्षक दिवस का जश्न इस बार कोलेबिरा के राजकृत उत्क्रमित उर्दू मध्य विद्यालय में कुछ अलग अंदाज में मनाया गया। यहां बच्चों ने शिक्षकों की जगह अध्यापन कर कक्षा में शिक्षक की भूमिका निभाई। कक्षा 5 से 8 तक के विद्यार्थियों ने पूरे उत्साह के साथ इस गतिविधि में भाग लिया।

बच्चों ने किया अध्यापन, माता-पिता हुए गर्वित

विद्यार्थियों ने गणित, भाषा और सामान्य ज्ञान की कक्षाएं लीं और शिक्षक की तरह अपने साथियों को पढ़ाया। इस अनूठी प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले तीन बच्चों को “बाल शिक्षक सम्मान प्रशस्ति पत्र” से सम्मानित किया गया। पुरस्कार पाकर उनके माता-पिता गर्व से झूम उठे और इसे बच्चों के आत्मविश्वास व प्रगति का अहम कदम बताया।

रवीना मालवीय का उद्देश्य

यह आयोजन पीरामल फाउंडेशन के तहत गाँधी फेलो रवीना मालवीय के नेतृत्व में किया गया। उन्होंने बताया कि इस गतिविधि का उद्देश्य बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाना और स्कूल ड्रॉपआउट दर को कम करना है।

रवीना मालवीय: “जब सीनियर बच्चे अपने जूनियर्स को पढ़ाते हैं, तो यह शिक्षा की निरंतरता बनाए रखने और शिक्षक की कमी को पूरा करने का अनोखा प्रयास है।”

शिक्षकों का मिला पूरा समर्थन

विद्यालय के प्रधानाध्यापक मिनहाज आलम और सभी शिक्षकों ने बच्चों की इस पहल का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधियां बच्चों में जिम्मेदारी और नेतृत्व कौशल विकसित करती हैं। रवीना मालवीय ने आश्वस्त किया कि आने वाले समय में भी इस कार्यक्रम का फॉलो-अप किया जाएगा, ताकि यह पहल निरंतर जारी रहे और विद्यार्थी नियमित रूप से अपने जूनियर्स को पढ़ाने की जिम्मेदारी निभाते रहें।

न्यूज़ देखो: शिक्षा में प्रयोग से बढ़ेगा आत्मविश्वास

कोलेबिरा का यह प्रयोग बताता है कि शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है। जब बच्चे खुद शिक्षक की भूमिका निभाते हैं तो उनमें न केवल आत्मविश्वास बढ़ता है बल्कि वे शिक्षा की अहमियत को और गहराई से समझते हैं। यह मॉडल ग्रामीण इलाकों में शिक्षा सुधार की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

शिक्षा से ही बनेगा उज्ज्वल भविष्य

अब समय है कि समाज ऐसे प्रयासों को और आगे बढ़ाए। शिक्षक दिवस पर बच्चों की इस पहल ने साबित किया कि शिक्षा में नवाचार से बड़ा बदलाव संभव है। आप भी अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि जागरूकता फैले और शिक्षा का महत्व हर घर तक पहुंचे।

📥 Download E-Paper

यह खबर आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?

रेटिंग देने के लिए किसी एक स्टार पर क्लिक करें!

इस खबर की औसत रेटिंग: 0 / 5. कुल वोट: 0

अभी तक कोई वोट नहीं! इस खबर को रेट करने वाले पहले व्यक्ति बनें।

चूंकि आपने इस खबर को उपयोगी पाया...

हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें!

IMG-20250604-WA0023 (1)
IMG-20250610-WA0011
IMG-20250723-WA0070
IMG-20251017-WA0018
IMG-20250925-WA0154
1000264265
आगे पढ़िए...

नीचे दिए बटन पर क्लिक करके हमें सोशल मीडिया पर फॉलो करें


Birendra Tiwari

सिमडेगा

Related News

Back to top button
error: