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जर्जर स्कूल में बच्चों की पढ़ाई संकट में, किसी भी वक्त गिर सकता है भवन

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#महुआडांड़ #स्कूल_जर्जर : औराटोली के प्राथमिक विद्यालय की इमारत खतरनाक स्थिति में—दो साल से मरम्मत प्रस्ताव लंबित, बच्चे बरामदे में पढ़ने को मजबूर।
  • भवन पूरी तरह जर्जर
  • बच्चे खुले बरामदे में बैठने को विवश।
  • किचन शेड भी खतरनाक स्थिति में।
  • दो वर्षों से मरम्मत प्रस्ताव लंबित
  • बारिश में पानी रिसाव और कीचड़।

महुआडांड़ प्रखंड के औराटोली गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय की जर्जर स्थिति बच्चों की सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है। भवन की दीवारों में गहरी दरारें हैं, छत कमजोर होकर लगातार प्लास्टर झाड़ रही है और कई हिस्सों में टूट-फूट इतनी बढ़ चुकी है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। कक्षाएं पूरी तरह असुरक्षित होने के कारण बच्चों को खुले बरामदे में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है, जहां न धूप से बचाव है, न ठंड से, और न ही बारिश से सुरक्षा।

भवन के गिरने की आशंका, बच्चे डर के साए में पढ़ने को मजबूर

बरसात के दिनों में कक्षाओं की हालत और भी खतरनाक हो जाती है। कई कमरों की छत से पानी टपकता है, फर्श पर लगातार कीचड़ जमा रहता है और बच्चों को बैठने तक की जगह नहीं मिलती। विद्यालय प्रशासन का कहना है कि भवन कभी भी ढह सकता है, लेकिन मजबूरी में बच्चों को इसी वातावरण में पढ़ना पड़ रहा है।
एक शिक्षक ने बताया—

“कमरों में जाना भी जोखिम भरा है, बरामदे में ही बच्चों को बैठाते हैं। किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है।”

दो साल से प्रस्ताव लंबित, अधिकारियों ने नहीं लिया संज्ञान

विद्यालय की प्राचार्या ने बताया कि पिछले दो वर्षों से भवन मरम्मत और किचन शेड के पुनर्निर्माण के लिए कई बार प्रस्ताव भेजे गए, लेकिन अब तक विभागीय स्तर पर सिर्फ आश्वासन ही मिला है। न तो निरीक्षण हुआ और न ही मरम्मत का कोई कार्य शुरू हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि लगातार पत्राचार करने के बाद भी प्रस्ताव फाइलों में दबा हुआ है।

मध्यान्ह भोजन भी जोखिम में

विद्यालय का किचन शेड भी जर्जर स्थिति में है। इसकी छत और दीवारें किसी भी क्षण गिर सकती हैं। ऐसे में मध्यान्ह भोजन योजना का संचालन भी खतरे में है, क्योंकि खाना पकाने के दौरान किचन में मौजूद कर्मियों के लिए भी सुरक्षा का कोई भरोसा नहीं है।

अभिभावकों में भारी रोष, कार्रवाई की मांग

स्थानीय अभिभावकों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सरकार शिक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएँ करती है, लेकिन गांव के बच्चों की सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
एक अभिभावक ने कहा—

“हमारे बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ते हैं, लेकिन अधिकारियों को इसकी कोई चिंता नहीं। दो साल से सिर्फ कागज घूम रहे हैं।”

न्यूज़ देखो: शिक्षा ढांचा सुधारना समय की मांग

ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था की वास्तविक तस्वीर इसी तरह के जर्जर स्कूलों में दिखती है। बच्चों की सुरक्षा से बड़ा कोई मुद्दा नहीं हो सकता। प्रशासन को तुरंत मरम्मत कार्य शुरू कराना चाहिए ताकि प्राथमिक शिक्षा सुरक्षित और सुचारू रूप से चल सके।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले

गांव के भविष्य को सुरक्षित करने की ज़िम्मेदारी समाज और प्रशासन दोनों की है। ऐसे मुद्दों पर आवाज उठाना ज़रूरी है ताकि बदलाव की पहल हो सके।
इस खबर को साझा करें, अपनी राय कमेंट में दें—आपकी आवाज़ ग्रामीण बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है।

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Ramprawesh Gupta

महुवाडांड, लातेहार

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