Giridih

गिरिडीह में चौकीदारों को 7 महीने से वेतन नहीं, आठवां महीना शुरू; आर्थिक संकट गहराया

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#गिरिडीह #वेतन_संकट : सात महीने से मानदेय न मिलने के कारण जिले के चौकीदार आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं—प्रशासन से तत्काल भुगतान की मांग।
  • 7 महीनों से वेतन लंबित
  • 8वां महीना शुरू होते ही संकट और गहरा।
  • चौकीदार नियमित थाना ड्यूटी पर तैनात।
  • परिवार चलाना मुश्किल, खर्च बढ़ा।
  • सरकार–प्रशासन से तत्काल भुगतान की मांग।

गिरिडीह जिले में तैनात चौकीदारों के सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। लगातार सात महीनों से उन्हें मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है, और अब आठवां महीना शुरू होते ही हालात और भी खराब हो गए हैं। चौकीदारों ने बताया कि वे लगातार थानों में अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें अब तक एक भी किस्त वेतन के रूप में नहीं मिली है। इस वजह से उनके परिवारों का भरण-पोषण मुश्किल हो गया है।

लगातार ड्यूटी, लेकिन वेतन शून्य

चौकीदारों ने बताया कि वे रोज़ाना थानों में सुरक्षा, सूचना संकलन और जनसंपर्क जैसे कार्य करते हैं। कई बार देर रात तक की ड्यूटी भी निभानी पड़ती है। इसके बावजूद मानदेय का भुगतान सात महीनों से अटका हुआ है। कई कर्मियों ने कहा कि राशन, बच्चों की पढ़ाई और दवाइयों का खर्च उठाना बेहद कठिन हो चुका है।

शिकायत में जताई पीड़ा, सरकार से लगाई गुहार

चौकीदारों ने प्रशासन को भेजी अपनी शिकायत में साफ तौर पर कहा है कि वेतन न मिलने से उनकी मूल जरूरतों को पूरा करना भी चुनौती बन गया है।
एक कर्मी ने बताया—

“हम ड्यूटी पूरी निष्ठा से निभाते हैं, लेकिन बिना वेतन महीनों गुजर गए। घर चलाना मुश्किल हो गया है।”

चौकीदारों ने सरकार और जिला प्रशासन से तत्काल मानदेय भुगतान की मांग की है ताकि वे सामान्य जीवनयापन कर सकें।

परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा

कई चौकीदारों ने बताया कि उधार लेकर घर चलाना उनकी मजबूरी बन गई है। दुकानदारों और किराना व्यापारियों पर बकाया बढ़ता जा रहा है। बच्चों की स्कूल फीस और घर का किराया तक देना मुश्किल हो चुका है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के चौकीदारों ने एक स्वर में कहा कि यदि जल्द वेतन नहीं मिला तो स्थिति भयावह हो सकती है।

न्यूज़ देखो: स्थानीय कर्मियों की उपेक्षा चिंता का विषय

कानून-व्यवस्था का आधार माने जाने वाले चौकीदारों को महीनों वेतन न मिलना प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। इससे उनकी आजीविका पर सीधा असर पड़ता है और मनोबल भी कमजोर होता है। सरकार को इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई करते हुए मानदेय भुगतान सुनिश्चित करना चाहिए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

हक की लड़ाई में साथ खड़े हों

चौकीदार समाज की सुरक्षा में अपनी भूमिका निभाते हैं। अब वक्त है कि उनकी आवाज़ को मजबूती दी जाए। आप अपनी राय कमेंट में दें और इस खबर को साझा करें, ताकि समस्या प्रशासन तक जोरदार तरीके से पहुँचे।
आपकी भागीदारी बदलाव ला सकती है।

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Surendra Verma

डुमरी, गिरिडीह

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