
हाइलाइट्स :
- भारत निर्वाचन आयोग ने सभी राष्ट्रीय और राज्य दलों से 30 अप्रैल 2025 तक सुझाव मांगे।
- गढ़वा में 22 मार्च को उपायुक्त शेखर जमुआर की अध्यक्षता में होगी बैठक।
- ईसीआई ने 31 मार्च 2025 तक राज्यों को कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए।
- चुनावी प्रक्रियाओं को मजबूत करने के लिए विकेंद्रीकृत जुड़ाव की पहल।
निर्वाचन आयोग की पहल – चुनावी सुधार पर सुझाव आमंत्रित
भारत निर्वाचन आयोग ने चुनावी प्रक्रियाओं को पारदर्शी और मजबूत बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल 2025 तक सुझाव मांगे हैं। इसके लिए देशभर में विकेंद्रीकृत संवाद और बैठकें आयोजित की जा रही हैं। इसी क्रम में गढ़वा जिला निर्वाचन पदाधिकारी-सह-उपायुक्त शेखर जमुआर 22 मार्च 2025 को सुबह 11:00 बजे नये समाहरणालय के सभाकक्ष में राजनीतिक दलों के साथ बैठक करेंगे।
“चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुचारू बनाने के लिए सभी राजनीतिक दलों को अपने सुझाव देने चाहिए।”
ईसीआई का निर्देश – 31 मार्च तक कार्रवाई रिपोर्ट अनिवार्य
इससे पहले, पिछले सप्ताह मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO), जिला निर्वाचन पदाधिकारियों (DEO) और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (ERO) को निर्देश दिया था कि वे राजनीतिक दलों के साथ नियमित संवाद करें और प्राप्त सुझावों को कानूनी ढांचे के तहत हल करें।
इसके साथ ही, 31 मार्च 2025 तक आयोग को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
चुनाव सुधार के लिए व्यापक संवाद
भारत निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को 28 प्रमुख हितधारकों में से एक माना है और चुनावी प्रक्रियाओं को सुधारने के लिए उनका सक्रिय सहयोग आवश्यक बताया है। आयोग ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि –
“जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1951, मतदाता पंजीकरण नियम 1960, चुनाव संचालन नियम 1961, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और ईसीआई के समय-समय पर जारी निर्देश चुनावी व्यवस्था को पारदर्शी और मजबूत बनाते हैं।”
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भारत निर्वाचन आयोग की यह पहल लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अधिक निष्पक्ष और प्रभावी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। क्या यह पहल राजनीतिक दलों के लिए उपयोगी होगी? क्या राजनीतिक दल सक्रिय भागीदारी निभाएंगे? आगामी बैठक में क्या अहम सुझाव सामने आएंगे?
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